पूर्व केंद्रीय मंत्री श्रीकांत जेना ने ओडिशा सरकार पर अवैध खनन मंजूरी का आरोप लगाया, त्वरित कार्रवाई की मांग

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समग्र समाचार सेवा
भुवनेश्वर,10 मार्च।
पूर्व केंद्रीय मंत्री श्रीकांत कुमार जेना ने ओडिशा सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि सरकार खनन कंपनियों के साथ मिलीभगत कर रही है और आदिवासियों की आवाज़ को दबा रही है। उन्होंने मुख्यमंत्री मोहन चरण मांझी को एक पत्र लिखकर दावा किया कि सरकार ने खनन और पर्यावरणीय मंजूरी प्राप्त करने के लिए ग्राम सभाओं को फर्जी तरीके से आयोजित किया है, जिससे आदिवासी अधिकारों और कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन हो रहा है।

श्रीकांत जेना ने विशेष रूप से कोरापुट जिले के नंदपुर का उल्लेख किया, जहां अडानी समूह की बॉक्साइट खनन परियोजना को मंजूरी दिलाने के लिए कथित रूप से फर्जी ग्राम सभा आयोजित की गई। उन्होंने दावा किया कि सरकारी अधिकारियों ने मजिस्ट्रेटों की मिलीभगत से गलत रिपोर्ट तैयार की और विरोध प्रदर्शन के बावजूद ग्राम सभा को “सफल” घोषित कर दिया।

जेना ने यह भी आरोप लगाया कि रायगढ़ा और कालाहांडी के सिजीमाली क्षेत्र में वेदांता कंपनी के खनन प्रोजेक्ट के लिए ग्राम सभाओं को हेरफेर किया गया, ताकि स्थानीय समुदायों के विरोध को दरकिनार किया जा सके।

उन्होंने आगे कहा कि सुंदरगढ़ जिले के हेमगिरी और अंगुल सहित अन्य खनिज संपन्न क्षेत्रों में खनन कंपनियों और सरकारी अधिकारियों के गठजोड़ के कारण आदिवासियों की आवाज़ को दबाया जा रहा है।

श्रीकांत जेना ने 1996 के पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम (PESA) की अभी तक ओडिशा में पूरी तरह लागू न होने को लेकर भी सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने PESA कानून को लागू करने का वादा किया था, लेकिन अब तक यह केवल कागजों तक सीमित है, जिससे खनन कंपनियों को आदिवासी क्षेत्रों का अंधाधुंध शोषण करने की खुली छूट मिली हुई है।

श्रीकांत जेना ने मुख्यमंत्री से तत्काल हस्तक्षेप करने और निम्नलिखित कदम उठाने की मांग की:

  1. खनन और पर्यावरणीय स्वीकृतियों से जुड़ी सभी ग्राम सभाओं को तत्काल निलंबित किया जाए, जब तक कि PESA पूरी तरह लागू न हो।
  2. फर्जी ग्राम सभाओं को रद्द किया जाए और उनके आधार पर दी गई मंजूरियों को अमान्य घोषित किया जाए।
  3. इस पूरे घोटाले की पारदर्शी जांच कराई जाए और इसमें शामिल सरकारी अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई हो।

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने मुख्यमंत्री को चेताया कि यदि सरकार इन अवैध गतिविधियों पर लगाम नहीं लगाती है, तो यह आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों का घोर उल्लंघन होगा। उन्होंने सरकार से अपील की कि वह PESA कानून को जमीनी स्तर पर लागू करे और आदिवासियों को उनका हक दिलाए।

श्रीकांत जेना के इन आरोपों ने ओडिशा में खनन गतिविधियों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यदि उनके आरोप सही साबित होते हैं, तो यह सरकार और कॉरपोरेट गठजोड़ द्वारा आदिवासी समुदायों के शोषण का बड़ा मामला बन सकता है। अब देखना यह है कि मुख्यमंत्री मोहन चरण मांझी इस मुद्दे पर क्या कदम उठाते हैं और क्या सरकार इन आरोपों का कोई जवाब देती है या नहीं

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