मणिपुर में राष्ट्रपति शासन:गौरव गोगोई द्वारा संसद में तीखी बहस और सरकार की विफलता का आरोप

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,12 मार्च।
आज संसद में मणिपुर के वर्तमान स्थिति पर चर्चा के दौरान एक बार फिर से राजनीतिक सरगर्मियाँ बढ़ गईं। सदन में बोलते हुए, एक सांसद ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह केवल हेडलाइन्स पर ध्यान केंद्रित कर रही है, जबकि वास्तविक मुद्दे की अनदेखी कर रही है। यह बयान उस समय आया जब मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू किया गया था, जिसे विपक्षी दलों ने सरकार की विफलता का स्पष्ट उदाहरण बताया।

सांसद ने कहा, “प्रधानमंत्री ने पिछले 21 महीने पहले यह दावा किया था कि मणिपुर में शांति निकट है। लेकिन आज हम देख रहे हैं कि राष्ट्रपति शासन लागू हो चुका है। यह हमारे देश के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है।” उन्होंने सवाल उठाया कि प्रधानमंत्री मोदी अब तक मणिपुर क्यों नहीं गए और वहां की स्थिति को समझने का प्रयास क्यों नहीं किया।

संसद में चर्चा के दौरान, सांसद ने मणिपुर के बजट का भी जिक्र किया, जिसमें लगभग 35,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था, जिसमें सामाजिक क्षेत्र के लिए 9,520 करोड़ रुपये का आवंटन शामिल है। उन्होंने कहा कि इस बजट के पीछे की योजनाओं और उनके कार्यान्वयन पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है।

संसद में उपस्थित अन्य सदस्यों ने भी इस मुद्दे पर अपनी चिंताओं को व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि मणिपुर की विधानसभा की स्थिति चिंताजनक है और वहां के लोग शांति और सुरक्षा की उम्मीद कर रहे हैं। सांसदों ने गृह मंत्री से अनुरोध किया कि वे अपनी नैतिक जिम्मेदारी स्वीकार करें और मणिपुर की स्थिति को सुधारने के लिए ठोस कदम उठाएं।

सांसद ने आगे कहा, “बंदूक के दम पर उत्तर पूर्व में शांति नहीं लाई जा सकती। यदि वास्तविक शांति चाहिए, तो मणिपुर के लोगों की आवाज़ को सुनना होगा। उनके डर और चिंताओं को समझने का धैर्य सरकार को दिखाना होगा।”

इस बीच, टीएमसी और अन्य विपक्षी दलों ने सरकार के खिलाफ एकजुट होकर आवाज उठाई और कहा कि मणिपुर की स्थिति को लेकर सरकार की नीतियों में असंगतता साफ दिखाई दे रही है। उन्होंने मांग की कि सरकार मणिपुर की स्थिति को लेकर एक व्यापक चर्चा आयोजित करे और आवश्यक कदम उठाए।

यह घटनाक्रम दर्शाता है कि मणिपुर में राजनीतिक स्थिरता और शांति की आवश्यकता कितनी महत्वपूर्ण है।

संसद में जारी बहस से यह स्पष्ट होता है कि सरकार को अब इस दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि मणिपुर के लोग एक सुरक्षित और शांतिपूर्ण वातावरण में जीवन यापन कर सकें।

संसद में उठे इन मुद्दों ने यह भी साबित कर दिया कि राजनीतिक दलों के बीच आपसी सहयोग और संवाद की आवश्यकता है, ताकि इस संवेदनशील मामले का समाधान निकाला जा सके और मणिपुर के लोगों की भलाई सुनिश्चित की जा सके।

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