समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,13 मार्च। भारत में शैव परंपरा ने विविध रूपों में विकसित होकर दार्शनिक गहराई और सामाजिक चेतना को समृद्ध किया है। इस संदर्भ में कश्मीरी त्रिक शैववाद और कर्नाटक का लिंगायत शैववाद दो महत्वपूर्ण धाराएँ हैं, जो अपने विशिष्ट सिद्धांतों और अनुयायियों के जीवन दर्शन के लिए जानी जाती हैं। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से, ये दो परंपराएँ, जो एक ही आध्यात्मिक जड़ों से निकली हैं, न केवल भौगोलिक दूरी के कारण अलग रही हैं, बल्कि एक-दूसरे के अस्तित्व से भी बहुत हद तक अनभिज्ञ रही हैं।