समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,14 मार्च। तमिलनाडु और केंद्र सरकार के बीच एक गंभीर विवाद रुकने का नाम नहीं ले रहा है , राज्य ने आरोप लगाया कि केंद्र ने समग्र शिक्षा अभियान (Samagra Shiksha Abhiyan) के तहत उसे 573 करोड़ रुपये की राशि रोक दी है। तमिलनाडु का आरोप है कि यह राशि इसलिए रोकी गई क्योंकि राज्य ने प्रधानमंत्री शिष्य रचनात्मक स्कूल (PM SHRI) योजना के तहत मॉडल स्कूलों की स्थापना में शामिल होने से मना कर दिया था।
यह मामला तब और बढ़ गया जब राज्य सरकार ने स्पष्ट किया कि उसने प्रधानमंत्री शिष्य रचनात्मक स्कूल योजना को अस्वीकार किया है क्योंकि इस योजना में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) को लागू करने की शर्तें थीं, जो तमिलनाडु के लिए स्वीकार्य नहीं थीं। तमिलनाडु सरकार का कहना है कि यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) का हिस्सा है, जिसमें तीन भाषा फार्मूला लागू करने का प्रस्ताव है। राज्य सरकार का आरोप है कि इस फार्मूला के तहत हिंदी को अनिवार्य रूप से लागू किया जाएगा, जो तमिल भाषा के पक्ष में नहीं है।
तमिलनाडु सरकार ने एनईपी के खिलाफ अपनी बात रखते हुए कहा कि हिंदी को अनिवार्य रूप से लागू करने की नीति से तमिलनाडु की सांस्कृतिक और भाषाई पहचान पर खतरा पड़ सकता है। हिंदी को लेकर तमिलनाडु में पहले से विरोध जारी है और इस नीति को अमल में लाने से राज्य के लोगों में असंतुष्टि और नाराजगी शुरू हो सकती है।
वहीं, केंद्र सरकार ने तमिलनाडु के आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि राज्य के लिए निर्धारित वित्तीय सहायता को रोकने का फैसला राज्य सरकार द्वारा पीएम श्रीय योजना में भागीदारी से इंकार करने के बाद लिया गया था। केंद्र ने यह भी कहा कि समग्र शिक्षा अभियान के तहत राज्य सरकार को सभी आवश्यक शर्तों के तहत मदद दी जा रही है, और योजनाओं के क्रियान्वयन में किसी भी प्रकार की बाधा उत्पन्न नहीं होनी चाहिए।
केंद्र सरकार ने इस विवाद के बीच राज्य के शिक्षा विभाग से यह स्पष्ट करने का आग्रह किया कि वह योजनाओं को लागू करने में किस प्रकार के आपत्तियों का सामना कर रहे हैं। साथ ही केंद्र ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री शिष्य रचनात्मक स्कूल योजना को तमिलनाडु की स्थानीय जरूरतों और संस्कृति के अनुरूप ढाला जा सकता है, ताकि राज्य की शिक्षा प्रणाली को बेहतर बनाया जा सके।
इस मुद्दे पर राजनीतिक नजरिया से भी एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। विपक्षी पार्टियों ने केंद्र सरकार के इस कदम पर राज्य सरकार के अधिकारों के उल्लंघन के रूप में विरोध किया है। उनका मानना है कि केंद्र सरकार का यह व्यवहार संघीय ढांचे के खिलाफ है और राज्यों को अपनी नीतियों के बारे में स्वतंत्र निर्णय लेने का अधिकार होना चाहिए।
तमिलनाडु की प्रमुख मंत्री मक्कल नीथी माईदी (MNM) पार्टी की लीडर और अन्य प्रदेशीय दलों ने इसके इस मुद्दे पर विरोध जताया है ।
समग्र शिक्षा अभियान और प्रधानमंत्री शिष्य रचनात्मक स्कूल योजना के मामले में यह विवाद राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से गहरा हो सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि राज्य और केंद्र के बीच यह विवाद किस दिशा में आगे बढ़ता है और क्या राज्य सरकार को मिलने वाली वित्तीय सहायता के मामले में कोई समाधान निकाला जाता है।