समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,25 मार्च। भारत का सर्वोच्च न्यायालय अक्सर संविधान का संरक्षक माना जाता है, जो देश की कानूनी और सामाजिक दिशा तय करने वाले ऐतिहासिक फैसले सुनाता है। लेकिन इसके जवाबदेही, पारदर्शिता और न्यायिक अतिक्रमण को लेकर लंबे समय से बहस जारी है। न्यायपालिका की भूमिका संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण है, लेकिन इसकी कार्यप्रणाली ने सत्ता के विभाजन, निर्णयों की एकरूपता और न्याय प्रणाली की प्रभावशीलता को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।