नायडू ने मोदी और ओम बिरला को अराकू कॉफी के प्रचार के लिए धन्यवाद दिया

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समग्र समाचार सेवा
विजयवाड़ा,25 मार्च।
आंध्र प्रदेश के आदिवासी किसानों के लिए यह एक गौरवपूर्ण क्षण रहा जब मुख्यमंत्री नारा चंद्रबाबू नायडू ने व्यक्तिगत रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला का धन्यवाद किया। उन्होंने अराकू कॉफी को राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा देने में उनकी भूमिका की सराहना की। यह कदम अराकू घाटी के आदिवासी किसानों द्वारा उगाई जाने वाली इस कॉफी को देशभर में लोकप्रिय बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

मुख्यमंत्री नायडू ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर पोस्ट किए गए एक ट्वीट में लिखा, “संसद के कॉफी प्रेमियों के लिए शानदार खबर! अब आप संसद परिसर में ताज़ी बनी अराकू कॉफी का आनंद ले सकते हैं।” उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को उनके मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में अराकू कॉफी को बढ़ावा देने के लिए धन्यवाद दिया। साथ ही, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को संसद परिसर में इस कॉफी स्टॉल को स्थापित करने की अनुमति देने के लिए आभार प्रकट किया। नायडू ने उन सभी लोगों को भी धन्यवाद दिया, जिनकी अथक मेहनत और प्रतिबद्धता ने इस उपलब्धि को संभव बनाया।

अराकू घाटी, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और आदिवासी बहुल आबादी के लिए जानी जाती है, वहां की उपजाऊ भूमि में उगाई जाने वाली अराकू कॉफी अपनी उच्च गुणवत्ता और जैविक उत्पादन के लिए प्रसिद्ध हो रही है। यह कॉफी स्थानीय आदिवासी किसानों द्वारा पारंपरिक और सतत कृषि पद्धतियों के माध्यम से उगाई जाती है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ‘मन की बात’ में अराकू कॉफी की चर्चा के बाद इसे और अधिक राष्ट्रीय पहचान मिली। मोदी ने अपने संबोधन में अराकू कॉफी के समृद्ध स्वाद और इसे उगाने वाले आदिवासी किसानों के योगदान की सराहना की। उन्होंने इस कॉफी को भारत के सबसे अनछुए और शांत प्राकृतिक स्थलों में से एक, पूर्वी घाट की पहचान बताया।

इसके बाद, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने संसद परिसर में अराकू कॉफी स्टॉल स्थापित करने की अनुमति दी। यह निर्णय न केवल इस कॉफी की गुणवत्ता पर मुहर है, बल्कि उन आदिवासी किसानों के प्रयासों की भी स्वीकृति है, जिन्होंने इसे उगाया। अब संसद में सांसदों और आगंतुकों को अराकू कॉफी का स्वाद चखने का अवसर मिलेगा, जिससे यह कॉफी भारतीय राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में भी लोकप्रिय हो सकेगी।

अपने ट्वीट में नायडू ने इस पहल के महत्व को रेखांकित करते हुए लिखा, “यह हम सभी के लिए, विशेष रूप से हमारे आदिवासी किसानों के लिए गर्व का क्षण है। उनकी मेहनत और समर्पण ने अराकू कॉफी को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है।”

अराकू घाटी के अधिकांश कॉफी किसान आदिवासी समुदायों से आते हैं, जो वर्षों से गरीबी से जूझ रहे हैं। हालांकि, अराकू कॉफी जैसी पहलों ने उन्हें अपनी जैविक कॉफी के लिए एक स्थायी बाजार खोजने का अवसर दिया है। इससे न केवल उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है, बल्कि क्षेत्र में सतत विकास को भी बढ़ावा मिला है।

अराकू कॉफी अपनी विशिष्ट स्वाद प्रोफ़ाइल के कारण भारत और विदेशों में एक समर्पित ग्राहक वर्ग तैयार कर रही है। इसकी गुणवत्ता को घाटी की ऊँचाई, जलवायु और मिट्टी का विशेष योगदान प्राप्त है। अराकू वैली कॉफी प्रोड्यूसर्स कंपनी के तहत इसे किसान सहकारी प्रणाली के माध्यम से उगाया जाता है, जिसका उद्देश्य उचित मजदूरी और स्थायी उत्पादन सुनिश्चित करना है।

प्रधानमंत्री मोदी और लोकसभा अध्यक्ष बिरला द्वारा इसे मिली सराहना से इसकी लोकप्रियता और बढ़ने की संभावना है, जिससे किसानों के लिए नए अवसर खुल सकते हैं।

संसद परिसर में अराकू कॉफी स्टॉल की स्थापना इस कॉफी की यात्रा में एक ऐतिहासिक क्षण है। यह केवल एक क्षेत्रीय उत्पाद से राष्ट्रीय धरोहर बनने की कहानी नहीं है, बल्कि आदिवासी किसानों के साहस और उनके कृषि कौशल की मिसाल भी है। मोदी और बिरला की यह पहल भारतीय जैविक खेती को बढ़ावा देने और विशेष रूप से हाशिए पर मौजूद किसानों को वैश्विक बाजार में आगे बढ़ाने की जरूरत को रेखांकित करती है।

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