भारत नहीं खरीदेगा अमेरिकी फाइटर जेट, रणनीतिक संकेतों पर टिकी निगाहें

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,26 मार्च।
भारत ने अमेरिकी F-35 जैसे फिफ्थ जनरेशन फाइटर जेट खरीदने की किसी भी योजना से इनकार किया है। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को वर्तमान में ऐसे हाई-एंड स्टेल्थ फाइटर्स की आवश्यकता नहीं है, बल्कि स्वदेशी तेजस और कुछ और राफेल स्क्वाड्रनों के अधिग्रहण पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है।

भारत और अमेरिका के बीच अभी तक कोई औपचारिक रक्षा संधि (Defence Agreement) या मुक्त व्यापार समझौता (FTA) नहीं है, जो अमेरिका के लिए किसी भी बड़े रक्षा सौदे का आधार होता है। आमतौर पर अमेरिका NATO सहयोगियों और रणनीतिक साझेदारों को ही उन्नत सैन्य उपकरण बेचता है, जिसके लिए तकनीकी और सैन्य सिद्धांतों (doctrine agreements) से जुड़ी लंबी बातचीत की आवश्यकता होती है।

भारत को चीन और पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध लड़ने के लिए फिफ्थ जनरेशन फाइटर्स की आवश्यकता नहीं है। इसके बजाय, भारत को 1,000 नए तेजस श्रेणी के विमान और कुछ और राफेल स्क्वाड्रन की जरूरत है, जो उसके रक्षा रणनीति के लिए अधिक प्रभावी साबित हो सकते हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका द्वारा भारत को F-35 की पेशकश करना चीन को एक रणनीतिक संदेश देने के लिए किया गया था। अमेरिका भारत-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने के लिए भारत को एक महत्वपूर्ण शक्ति के रूप में देखता है। इस घोषणा के जरिए अमेरिका ने चीन को स्पष्ट कर दिया है कि वह इस क्षेत्र में भारत के खिलाफ चीन के किसी भी कदम को हल्के में नहीं लेगा।

इस घटनाक्रम से यह भी संकेत मिलता है कि भारत खुद को BRICS में चीन के साथ पूरी तरह खड़ा नहीं करेगा और पश्चिम के साथ संतुलित रिश्ते बनाए रखेगा।

भारत अपनी रक्षा आत्मनिर्भरता (Self-reliance in Defence) को प्राथमिकता देते हुए स्वदेशी और व्यावहारिक रक्षा समाधानों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। अमेरिका और भारत के बीच कोई औपचारिक रक्षा समझौता न होने के चलते F-35 सौदा कभी व्यवहारिक नहीं था। यह घोषणा अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में एक संदेश के रूप में अधिक महत्वपूर्ण है, जिसका असर भारत, अमेरिका और चीन के संबंधों पर पड़ सकता है।

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