नागालैंड में आपदा प्रबंधन के लिए अर्ली वार्निंग सिस्टम की स्थापना

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समग्र समाचार सेवा
कोहिमा,27 मार्च।
नागालैंड में आपदा प्रबंधन को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, राज्य को जल्द ही एक अर्ली वार्निंग सिस्टम (EWS) से लैस किया जाएगा, जो विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं के लिए समय पर चेतावनी जारी करेगा। इस परियोजना को राज्य की आपदा प्रतिक्रिया प्रणाली को बेहतर बनाने के उद्देश्य से शुरू किया गया है और इसे केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह का तत्काल समर्थन मिला है। यह पहल राज्यसभा सांसद फांगनोन कोन्याक के अनुरोध पर की गई है।

आपदा प्रबंधन को लेकर लगातार आवाज उठाने वाली कोन्याक ने इस त्वरित मंजूरी और सहयोग के लिए केंद्रीय मंत्रालय का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि नागालैंड विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं के प्रति संवेदनशील राज्य है, और ऐसे में यह प्रणाली अत्यंत आवश्यक है। “यह प्रणाली न केवल हमारी तैयारियों को मजबूत करेगी, बल्कि त्वरित प्रतिक्रिया और आपदा न्यूनीकरण की हमारी क्षमता को भी बढ़ाएगी,” कोन्याक ने कहा।

अर्ली वार्निंग सिस्टम विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं के लिए पूर्वानुमान प्रदान करेगा, जिनमें भूकंप, गंभीर मौसम स्थितियां जैसे लू और शीतलहर, भारी वर्षा, बाढ़, बिजली गिरने, आंधी-तूफान और भूस्खलन शामिल हैं। इस प्रणाली के तहत रियल-टाइम अलर्ट जारी किए जाएंगे, जिससे प्रशासन, स्थानीय समुदाय और नागरिकों को समय रहते आवश्यक कदम उठाने में मदद मिलेगी, जिससे जान-माल के नुकसान को कम किया जा सकेगा।

भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में स्थित नागालैंड भौगोलिक रूप से प्राकृतिक आपदाओं के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है। यहां अक्सर भूस्खलन, मानसूनी बाढ़ और भूकंप की घटनाएं देखने को मिलती हैं। ऐसे में इस प्रणाली की स्थापना से राज्य की आपदा प्रतिक्रिया क्षमता में उल्लेखनीय सुधार होगा और नागरिकों की सुरक्षा बेहतर तरीके से सुनिश्चित की जा सकेगी।

राज्य सरकार इस प्रणाली को सुचारू रूप से लागू करने के लिए संबंधित एजेंसियों और विशेषज्ञों के साथ मिलकर कार्य करेगी। अधिकारियों को उम्मीद है कि यह कदम न केवल लोगों की जान बचाने में मदद करेगा, बल्कि जागरूकता बढ़ाने और समुदाय को अधिक सशक्त बनाने में भी सहायक साबित होगा

इस महत्वाकांक्षी परियोजना को मंजूरी मिलने के साथ ही नागालैंड आपदा प्रबंधन के लिए एक मॉडल राज्य बनने की ओर अग्रसर हो गया है। यह पहल यह दर्शाएगी कि समयपूर्व चेतावनी और आधुनिक तकनीक के माध्यम से प्राकृतिक आपदाओं के विनाशकारी प्रभाव को किस तरह कम किया जा सकता है

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