त्रिपुरा में प्राथमिक शिक्षा के लिए 4,187 शिक्षकों की कमी: मुख्यमंत्री माणिक साहा

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समग्र समाचार सेवा
अगरतला,28 मार्च।
त्रिपुरा में प्राथमिक शिक्षा प्रणाली को लेकर एक गंभीर समस्या सामने आई है। राज्य में 4,187 शिक्षकों की कमी बनी हुई है, जिसकी जानकारी मुख्यमंत्री माणिक साहा ने बुधवार को विधानसभा में दी। यह संकट विशेष रूप से अंडर ग्रेजुएट टीचर्स (UGTs) और ग्रेजुएट टीचर्स (GTs) के स्तर पर देखा जा रहा है, जिससे राज्य की स्कूली शिक्षा प्रभावित हो रही है।

विधानसभा सत्र के दौरान CPI(M) विधायक नयन सरकार द्वारा पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में मुख्यमंत्री साहा, जो शिक्षा विभाग के भी प्रमुख हैं, ने बताया कि वर्तमान में त्रिपुरा के स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी बनी हुई है।

उन्होंने बताया कि राज्य के संशोधित मानकों के अनुसार, प्राथमिक शिक्षा प्रणाली को कुल 10,391 अंडर ग्रेजुएट टीचर्स (UGTs) और 8,546 ग्रेजुएट टीचर्स (GTs) की आवश्यकता है। लेकिन मौजूदा समय में केवल 8,985 UGTs और 5,765 GTs कार्यरत हैं।

इसका मतलब है कि राज्य को 1,406 अंडर ग्रेजुएट टीचर्स और 2,781 ग्रेजुएट टीचर्स की अतिरिक्त जरूरत है, जिससे कुल कमी 4,187 शिक्षकों की हो जाती है।

मुख्यमंत्री ने बताया कि पिछले पांच वर्षों में शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए राज्य सरकार ने कई कदम उठाए हैंत्रिपुरा शिक्षक भर्ती बोर्ड (TRBT) के तहत पिछले पांच वर्षों में 4,656 शिक्षकों की भर्ती की गई है। हालांकि, यह संख्या मौजूदा जरूरत को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है, जिससे सरकार पर अधिक योग्य शिक्षकों की भर्ती का दबाव बढ़ गया है।

शिक्षकों की संख्या बढ़ाने के अलावा, मुख्यमंत्री साहा ने शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार पर भी जोर दिया। उन्होंने बताया कि सरकार ने ‘NIPUN त्रिपुरा मिशन’ शुरू किया है, जिसका उद्देश्य छात्रों में प्रारंभिक पढ़ने और गणना कौशल (फाउंडेशनल लिटरेसी और न्यूमेरसी) को बढ़ावा देना है।

अब तक, इस पहल के तहत 10,182 से अधिक प्राथमिक शिक्षकों को पेशेवर प्रशिक्षण दिया गया है, जिससे उनकी शिक्षण पद्धतियों और क्षमताओं में सुधार हुआ है। इसके अलावा, राज्य सरकार ने 200 मास्टर ट्रेनर्स को क्लस्टर और ब्लॉक संसाधन व्यक्तियों के रूप में नामित किया है, ताकि इस मिशन को और आगे बढ़ाया जा सके और शिक्षा प्रणाली को मजबूत किया जा सके।

हालांकि सरकार शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने पर ध्यान दे रही है, लेकिन शिक्षकों की कमी अब भी चिंता का प्रमुख विषय बनी हुई है। शिक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि शिक्षकों की संख्या कम होने से मौजूदा शिक्षकों पर अतिरिक्त भार पड़ता है और इससे स्कूलों में समग्र शिक्षण अनुभव प्रभावित होता है

त्रिपुरा सरकार को अब शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया को तेज करने और शिक्षा से जुड़े अन्य नवाचारों को लागू करने की आवश्यकता है। राज्य के शैक्षणिक मानकों को आगे बढ़ाने और छात्रों के लिए बेहतर सीखने के माहौल को सुनिश्चित करने के लिए, सरकार को गुणवत्ता और मात्रा दोनों पर ध्यान देना होगा।

शिक्षा व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए योग्य शिक्षकों की पर्याप्त उपलब्धता बेहद जरूरी है। सरकार की शिक्षक प्रशिक्षण और सीधी भर्ती से जुड़ी नीतियां इन चुनौतियों से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।

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