समग्र समाचार सेवा
भोपाल,29 मार्च। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा निजी स्कूलों की मान्यता के लिए अनिवार्य पंजीकृत लीज की शर्त पर रोक लगा दी है। इस फैसले से उन सैकड़ों निजी स्कूल संचालकों को राहत मिली है, जो विभिन्न कारणों से यह शर्त पूरी करने में असमर्थ थे।
हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति विवेक जैन की खंडपीठ ने अंतरिम आदेश जारी करते हुए राज्य सरकार और स्कूल शिक्षा विभाग को नोटिस भेजा है। अदालत ने सरकार से छह सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है और 7 मई 2025 तक सरकार की 6 जनवरी 2023 की अधिसूचना पर रोक लगा दी है।
यह याचिका मध्य प्रदेश प्राइवेट स्कूल वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से शैलेश तिवारी, आनंद भगवत, अरविंद मिश्रा, अनुराग भार्गव, मोनू तोमर और विकास अवस्थी ने दायर की थी। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता स्मिता वर्मा अरोड़ा ने पक्ष रखा।
याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि स्कूलों की मान्यता के नवीनीकरण के लिए अनिवार्य पंजीकृत लीज की शर्त शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम, 2009 के तहत नहीं आती है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा लगाई गई यह अतिरिक्त शर्त हजारों स्कूलों के अस्तित्व को खतरे में डाल सकती थी, खासकर वे स्कूल जो कृषि भूमि या अवैध कॉलोनियों में संचालित हो रहे हैं।
याचिका में कहा गया कि पहले के नियमों के अनुसार, स्कूल संचालकों और मकान मालिकों के बीच नोटरीकृत लीज समझौता (3.5 वर्षों के लिए) मान्य था। लेकिन नई नीति के तहत पंजीकृत लीज, सुरक्षा जमा और मान्यता शुल्क को अनिवार्य कर दिया गया, जिससे निजी स्कूलों के सामने अस्तित्व का संकट खड़ा हो गया।
याचिकाकर्ताओं का दावा है कि इस नियम के चलते राज्य के 30-40% निजी स्कूलों को बंद होने का खतरा था, क्योंकि कई मकान मालिक पंजीकृत लीज समझौता करने को तैयार नहीं थे। अगर यह शर्त लागू हो जाती, तो न केवल हजारों स्कूल बंद हो सकते थे, बल्कि शिक्षकों की नौकरियां और लाखों बच्चों की शिक्षा भी प्रभावित होती।
अदालत ने सरकार की अधिसूचना को 7 मई 2025 तक के लिए निलंबित कर दिया है, जिससे निजी स्कूल बिना पंजीकृत लीज समझौते के भी मान्यता प्राप्त कर सकेंगे। अब सरकार को इस मामले में अदालत के समक्ष अपनी सफाई पेश करनी होगी।
इस फैसले के बाद निजी स्कूल संचालकों और शिक्षाविदों ने राहत की सांस ली है। अब अगली सुनवाई में यह तय होगा कि सरकार की यह नीति जारी रहेगी या हाईकोर्ट इसे पूरी तरह निरस्त करेगा।