कूकी उग्रवादियों द्वारा सांस्कृतिक महोत्सव रद्द करने की धमकी पर थादो नेताओं की निंदा

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समग्र समाचार सेवा
गुवाहाटी ,29 मार्च।   
गुवाहाटी में 4 अप्रैल 2025 को आयोजित होने वाले हुन-थादो सांस्कृतिक महोत्सव के आयोजन को लेकर कूकी उग्रवादी समूहों द्वारा धमकियाँ दी गई हैं, जिसे लेकर थादो समुदाय की नागरिक समाज संगठन और नेता गहरी चिंता व्यक्त कर रहे हैं। थादो स्टूडेंट्स एसोसिएशन (TSA-GHQ) और थादो कम्युनिटी इंटरनेशनल (TCI) ने गृह मंत्रालय (MHA) और असम पुलिस से इन धमकियों और आतंकवादी ताकतों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने की मांग की है।

TSA-GHQ ने अपनी शिकायत में कूकी इंपी असम (KIA) के आदेश की निंदा की है, जिसमें महोत्सव को रद्द करने की मांग की गई थी और केवल कूकी चावांग कुट उत्सव को मनाने की बात कही गई थी। थादो समूहों ने इस दावे को आधारहीन और उनके सांस्कृतिक अधिकारों का उल्लंघन बताया है।

थादो समुदाय के नेता टी. माइकल लामजाथांग हाओकिप ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, जिसमें उन्होंने यूनीटेड कूकीगम डिफेंस आर्मी (UKDA), कूकी रिवोल्यूशनरी आर्मी (KRA), और कूकी लिबरेशन आर्मी (KLA) के नेताओं को धमकियों का जिम्मेदार ठहराया है। हाओकिप ने कहा कि इन उग्रवादियों ने दीमा हासाओ और कार्बी आंगलोंग के प्रतिनिधियों को धमकियाँ दी हैं, जो हुन-थादो महोत्सव में भाग लेने के लिए गुवाहाटी आ रहे थे।

उग्रवादियों ने थादो नेताओं को एक पत्र भेजकर कहा कि इस तरह की सांस्कृतिक गतिविधियाँ कूकी राष्ट्र के दीर्घकालिक हितों के लिए हानिकारक हो सकती हैं और महोत्सव को रद्द करने का आदेश दिया। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि जो लोग उनके आदेश का उल्लंघन करेंगे, उन्हें गंभीर परिणामों का सामना करना पड़ेगा, जिसमें सामाजिक बहिष्कार या हिंसा भी हो सकती है।

थादो समुदाय ने इन धमकियों को दृढ़ता से खारिज किया है, यह कहते हुए कि वे कूकी समुदाय से अलग अपनी विशिष्ट पहचान रखते हैं। उनका कहना है कि थादो लोग अपनी भाषा, संस्कृति और इतिहास में अलग हैं और भारतीय सरकार द्वारा एक अलग अनुसूचित जनजाति के रूप में मान्यता प्राप्त हैं। वे उग्रवादियों के इस कदम को अपने सांस्कृतिक अभिव्यक्ति को दबाने और थादो लोगों पर कूकी-केन्द्रित एजेंडा थोपने की कोशिश मानते हैं।

TSA-GHQ ने अधिकारियों से तत्काल कार्रवाई की अपील की है ताकि किसी भी प्रकार की हिंसा या डराने-धमकाने की घटना को रोका जा सके और उनके सांस्कृतिक धरोहर का सुरक्षित तरीके से उत्सव मनाया जा सके।

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