समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,8 अप्रैल। भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु पुर्तगाल और स्लोवाक गणराज्य की राजकीय यात्रा के पहले चरण में कल (6 अप्रैल) लिस्बन पहुंचीं। यह यात्रा ऐतिहासिक है, क्योंकि 27 वर्षों के बाद किसी भारतीय राष्ट्रपति ने पुर्तगाल की यात्रा की है।
आज सुबह (7 अप्रैल) राष्ट्रपति मुर्मु का स्वागत पुर्तगाल के राष्ट्रपति महामहिम मार्सेलो रेबेलो दे सूज़ा ने लिस्बन के ऐतिहासिक ‘प्राका दो इंपेरियो’ में राजकीय सम्मान के साथ किया। उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर के साथ औपचारिक सलामी दी गई, जिससे दोनों देशों के बीच प्रगाढ़ मित्रता का संदेश स्पष्ट झलका।
राष्ट्रपति मुर्मु ने सांस्कृतिक महत्व की दृष्टि से पुर्तगाल के प्रसिद्ध स्थलों का दौरा भी किया। उन्होंने सांतामारिया चर्च का भ्रमण किया और पुर्तगाल के राष्ट्रीय कवि लुइस वाज़ दे कैमोएस की समाधि पर पुष्पांजलि अर्पित की। इसके पश्चात वे 16वीं सदी की वास्तुकला का बेजोड़ उदाहरण माने जाने वाले जेरोनिमोस मठ भी गईं।
यात्रा के एक प्रमुख पड़ाव के रूप में दोनों राष्ट्रपतियों ने भारत और पुर्तगाल के बीच राजनयिक संबंधों की 50वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में स्मारक डाक टिकटों का विमोचन किया। इन टिकटों में दोनों देशों की समृद्ध लोक कला और पारंपरिक परिधानों को दर्शाया गया है—राजस्थान की विशिष्ट कालबेलिया वेशभूषा और पुर्तगाल की वियाना डो कास्टेलो की पारंपरिक पोशाक।
इसके बाद राष्ट्रपति मुर्मु और राष्ट्रपति रेबेलो दे सूज़ा के बीच द्विपक्षीय वार्ता हुई। दोनों राष्ट्राध्यक्षों ने अकेले में बातचीत की और फिर अपने-अपने प्रतिनिधिमंडलों के साथ विस्तार से चर्चा की। बातचीत में व्यापार, निवेश, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, सूचना प्रौद्योगिकी, डिजिटल परिवर्तन, अक्षय ऊर्जा, संपर्क और गतिशीलता जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया गया।
राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि भारत-पुर्तगाल संबंध ऐतिहासिक हैं और समय के साथ इन रिश्तों में मजबूती आई है। आज ये संबंध एक आधुनिक, बहुआयामी और गतिशील साझेदारी का रूप ले चुके हैं। उन्होंने विशेष रूप से व्यापार और निवेश जैसे क्षेत्रों में इन पुराने संबंधों को और गहरा करने की आवश्यकता पर बल दिया।
इस राजकीय यात्रा ने न केवल भारत और पुर्तगाल के बीच आधिकारिक संवाद को सशक्त किया है, बल्कि दोनों देशों की सांस्कृतिक विरासत को जोड़ने का भी कार्य किया है। यह दौरा एक ऐसे समय में हो रहा है जब वैश्विक सहयोग, तकनीकी नवाचार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को नई दिशा देने की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक है।
राष्ट्रपति मुर्मु की पुर्तगाल यात्रा भारत की वैश्विक भूमिका और उसकी बहुपक्षीय कूटनीति के विस्तार की दिशा में एक अहम कदम है—जिससे न केवल अंतरराष्ट्रीय संबंध मजबूत होंगे, बल्कि भारत की सॉफ्ट पावर को भी बल मिलेगा।