SBI रिसर्च रिपोर्ट का अनुमान: सस्ते होंगे लोन, महंगाई घटेगी, वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुस्ती की चेतावनी
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,8 अप्रैल। भारतीय अर्थव्यवस्था के मद्देनज़र SBI की रिसर्च विंग ने महत्वपूर्ण रिपोर्ट जारी की है, जिसमें अगले वित्तीय वर्ष 2025-26 (FY26) के दौरान ब्याज दरों में बड़े राहत की संभावना व्यक्त की गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की मौद्रिक नीति समिति पूरे वित्त वर्ष में रीपो रेट में 75 से 100 बेसिस प्वाइंट यानी 1% तक घटा सकती है। यह पूर्वानुमान ऐसे समय पर सामने आया है जब वर्तमान वित्त वर्ष की पहली मौद्रिक समीक्षा बैठक शुरू हो गई है। उल्लख्य है कि फरवरी 2025 में MPC पांच साल में पहली बार रीपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट घटाया था, जिससे अब आगामी बैठकों में और नरमी की संभावना मजबूत हो गई है।
SBI रिसर्च का विश्वास है कि अप्रैल 2025 की बैठक में भी केंद्रीय बैंक 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर सकता है। इसके बाद जून में एक अंतराल रह सकता है, लेकिन अगस्त 2025 से ब्याज दरों में कटौती का दूसरा चरण शुरू हो सकता है। अगर ऐसा होता है तो होम लोन, ऑटो लोन और पर्सनल लोन समेत रीपो रेट से जुड़े सभी ऋण सस्ते हो जाएंगे, जिससे आम उपभोक्ताओं और उद्योगों को राहत मिलेगी।
रिपोर्ट में महंगाई के बारे में भी सकारात्मक संकेत दिए गए हैं। SBI का अनुमान है कि चौथी तिमाही (Q4FY25) में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित खुदरा महंगाई 3.8% तक आ सकती है, जबकि पूरे FY25 में इसका औसत स्तर 4.6% रह सकता है। इसके आधार पर FY26 में हेडलाइन महंगाई दर 3.9% से 4% के बीच रहने की संभावना है, वहीं कोर महंगाई 4.2% से 4.3% के दायरे में रहने की संभावना है। हालांकि, सितंबर या अक्टूबर 2025 तक गिरावट का रुख बने रहने के बाद इसमें दोबारा बढ़ोतरी देखी जा सकती है।
इस रिपोर्ट में वैश्विक हालात को लेकर भी चिंता जताई गई है। SBI के अनुसार, दुनिया की अर्थव्यवस्था कई चुनौतियों का सामना कर सकती है, जिनमें व्यापार पर लगने वाले टैक्स, करेंसी में अस्थिरता और निवेश प्रवाह की कमी सबसे बड़ी हैं। इन कारणों से वैश्विक GDP ग्रोथ में 30 से 50 बेसिस प्वाइंट तक की गिरावट हो सकती है। भारत के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि घरेलू स्तर पर उत्पादन क्षमता 7% तक पहुंच सकती है, जबकि एडवांस एस्टीमेट्स के मुताबिक GDP ग्रोथ 6.3% रहने की संभावना है। सबसे खराब स्थिति में यह 6% तक भी रह सकती है, जिसका मतलब है कि अर्थव्यवस्था अपनी पूरी क्षमता से थोड़ा कम प्रदर्शन कर रही है। इस स्थिति में आउटपुट गैप -100 से -70 बेसिस प्वाइंट के बीच रहेगा।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अमेरिका ने भारत की तुलना में कई देशों पर अधिक रेसिप्रोकल टैरिफ लगाए हैं, जिससे इन देशों द्वारा भारत में सस्ते उत्पादों की डंपिंग की आशंका है। इसका प्रभाव घरेलू बाजार पर पड़ेगा और इससे महंगाई पर दबाव घट सकता है। इस पूरे परिदृश्य में यदि RBI द्वारा ब्याज दरों में कटौती की जाती है तो इससे न केवल लोन सस्ते होंगे बल्कि उपभोग और निवेश को भी नया बल मिल सकता है।