मोदी के सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री ने अवैध खनन पर धामी सरकार को घेरा, उत्तराखंड से दिल्ली तक गरमायी सियासत

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,9 अप्रैल।
उत्तराखंड में अवैध खनन का मुद्दा हाल ही में चर्चा का केंद्र बना हुआ है, जिसमें राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाए जा रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान हरिद्वार सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने लोकसभा में यह मामला उठाया, विशेष रूप से देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल और उधमसिंह नगर जिलों में रात के समय अवैध खनन ट्रकों के संचालन पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि यह गतिविधियाँ न केवल कानून और पर्यावरण के लिए खतरा हैं, बल्कि आम जनता की सुरक्षा के लिए भी गंभीर समस्या बन रही हैं।

रावत के इन आरोपों के बाद, खनन विभाग के निदेशक बृजेश कुमार संत ने इन दावों को “पूर्णतया निराधार, असत्य और भ्रामक” बताया। उन्होंने कहा कि राज्य में अवैध खनन पर प्रभावी नियंत्रण के परिणामस्वरूप खनन राजस्व में रिकॉर्ड वृद्धि हुई है, जो पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में दोगुना से अधिक हो गया है।

विपक्षी कांग्रेस पार्टी ने भी इस मुद्दे पर सरकार को घेरते हुए कहा कि भाजपा सांसद के बयान ने प्रदेश में खनन माफिया राज के आरोपों पर मुहर लगा दी है। कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री नवीन जोशी ने आरोप लगाया कि हरिद्वार से लेकर कुमाऊं तक नदियों का सीना चीरा जा रहा है और भाजपा सरकार आंखें मूंदे बैठी है।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में खनन राजस्व में तीन गुना वृद्धि हुई है, जो माफिया गतिविधियों में कमी और सरकार की बढ़ती निगरानी का संकेत है। उन्होंने कहा कि खनन से होने वाली आय 300 करोड़ रुपये से बढ़कर 1,000 करोड़ रुपये से अधिक हो गई है, जो क्षेत्र को सुव्यवस्थित करने और भ्रष्टाचार को खत्म करने में सरकार की सफलता को दर्शाता है।

यह विवाद तब और बढ़ गया जब त्रिवेंद्र सिंह रावत ने खनन सचिव के जवाब पर सवाल उठाते हुए कहा कि क्या अफसर ने केवल दो घंटे में इस मामले की जांच पूरी कर ली। उन्होंने यह भी जांच की आवश्यकता जताई कि कहीं अधिकारी खनन माफिया के साथ मिले हुए तो नहीं।

इस पूरे प्रकरण से स्पष्ट है कि उत्तराखंड में अवैध खनन एक गंभीर मुद्दा बना हुआ है, जिस पर विभिन्न राजनीतिक दलों और नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप जारी हैं। सरकार और प्रशासन के दावों के बावजूद, विपक्ष और कुछ सत्तारूढ़ दल के नेताओं द्वारा उठाए गए सवाल इस विषय की जटिलता और गंभीरता को दर्शाते हैं।

नवीन चंद्र तिवारी-

हम अवैध खनन के खिलाफ लिखते हैं तो हमें देशद्रोही कहकर चुप करा दिया जाता है, Trivendra Singh Rawat जी भी क्या झूठ बोल रहे हैं? संसद तक बात पहुँच गई लेकिन उत्तराखण्ड के सियासतदानों ने अपने कानों में रूई डाल ली है, आंखों में पट्टी बांध ली है।

रोशन रतूड़ी-

25 साल से रात दिन लूट मची है! उतराखडं में जिधर देखो भ्रष्टाचार की सारी सीमाएँ पार कर दी! खनन माफ़िया, भू माफ़िया, नेताओं के भ्रष्टाचार का आंतक, बड़े-बडे अधिकारियों का भ्रष्टाचार यहाँ तक की अब कुछ जज, न्यायाधीश भी घूस खाने लग गये है! हर विभाग में लूट मची है! क्या ऐसे लोगों की आत्मा और ज़मीर मर चुका है!

नेताओं और ब्यूरोक्रेट में प्रतिस्पर्धा चल रही कौन राज्य को ज़्यादा लूट सकता है! शायद “गिनीज़ बुक ओफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स “में इनके नाम आ जाए!

राजेंद्र एस भंडारी-

उत्तराखण्ड हरिद्वार के सांसद पूर्व मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र रावत जी ने संसद में उत्तराखण्ड राज्य में हो रहे अवैध खनन के बारे में जोरदार आवाज उठाई, अपनी ही पार्टी का एक पूर्व मुख्यमंत्री और सांसद अपनी सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में यदि आवाज उठा रहा है तो मोदी जी, अमित शाह जी को प्रदेश सरकार से जवाब तलब करना चाहिए , गोदी मीडिया कान खोल के सुन ले कांग्रेस के बारे में तुम बार बार गुटबाजी की बात उठा कर जनता को भ्रमित करने का कार्य करते हो, जबकि कांग्रेस में आंतरिक लोकतंत्र है जिसको आप गुटबाजी बोलते हो, बीजेपी बेइमानी से जीत रही है, कांग्रेस का वोट बैंक मजबूत है, लेकिन बीजेपी सरकार में आपको गुटबाजी नजर क्यों नहीं आती। धामी जी की सरकार आकंठ भ्रष्टाचार में डूबी हुई है।

अधिकारियों से अपने बचाव का रास्ता ढूंढ रहे हो, कल्पना करो यदि ईमानदारी से जांच हो गई तो वो अधिकारी सबसे पहले बली का बकरा बनेगा। त्रिवेंद्र रावत जी बहुत गंभीर व्यक्ति है और बीजेपी के सिस्टम के कद्दावर नेता है अगर बात उठी है तो दूर तक जायेगी।

हिमांशु दिलीप रावत-

उत्तराखण्ड में अवैध खनन (Illegal Mining) CAG रिपोर्ट्स में भ्रष्टाचार का खुलासा

CAG ने अपनी कई रिपोर्ट्स में उत्तराखंड के खनन व्यापार में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं की ओर इशारा किया है। यहाँ कुछ प्रमुख बिंदु हैं:

2017-21 के बीच अनियमितताएँ:
CAG की 2023 की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि देहरादून जिले की सौंग, ढकरानी और कुल्हाल नदियों से अवैध खनन के लिए एंबुलेंस और शव वाहनों का इस्तेमाल किया गया।
2,969 सरकारी वाहनों से 1,24,474 मीट्रिक टन अवैध खनन सामग्री ढोई गई। इसके अलावा, 835 यात्री वाहनों और 2,500 टैक्सियों से भी लाखों टन सामग्री ले जाई गई।
57,000 से अधिक वाहन ऐसे थे जो पंजीकृत ही नहीं थे, और 261 ई-रिक्शा व 201 दोपहिया वाहनों के नंबर भी रवन्नों में दर्ज पाए गए। यह साफ तौर पर भ्रष्टाचार और प्रशासनिक मिलीभगत को दर्शाता है।
नंबर प्लेट बदलने का खेल: खनन माफिया ने वाहनों की नंबर प्लेट बदलकर प्रशासन की नाक के नीचे से अवैध सामग्री ढोई, जिससे करोड़ों का राजस्व नुकसान हुआ।
प्रशासन की नाकामी: CAG ने पाया कि 4.37 लाख वाहनों में से 1.18 लाख की जाँच में 43,000 वाहन अवैध खनन में शामिल थे। इसमें सरकारी अधिकारियों की संलिप्तता की आशंका जताई गई।
अन्य स्रोतों से भ्रष्टाचार के सबूत

नैनीताल हाईकोर्ट: 2025 में कोर्ट ने बाजपुर में कोसी नदी से अवैध खनन के खिलाफ सख्त कदम उठाने के आदेश दिए।
कोर्ट ने पुलिस को मशीनें सीज करने और मुकदमे दर्ज करने को कहा, जिससे प्रशासनिक लापरवाही उजागर हुई।
सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत का बयान: मार्च 2025 में लोकसभा में हरिद्वार सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आरोप लगाया कि प्रशासन की मिलीभगत से अवैध खनन हो रहा है। उन्होंने ओवरलोडेड ट्रकों और रात में संचालन की बात उठाई।
एनजीटी (NGT): राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने भी नदियों में अवैध खनन पर चिंता जताई और वैज्ञानिक अध्ययन के बिना खनन को पर्यावरण के लिए खतरा बताया।

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