शाह चुनावी राज्य तमिलनाडु में तो दिल्ली में नड्डा संभालेंगे मोर्चा, BJP सीएम और प्रदेश अध्यक्षों संग अहम बैठक
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,10 अप्रैल। लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनज़र भारतीय जनता पार्टी (BJP) के भीतर अब रणनीतिक हलचलें तेज़ हो गई हैं। जहां एक ओर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह दक्षिण भारत के महत्वपूर्ण चुनावी राज्य तमिलनाडु के दौरे पर रहेंगे, वहीं दिल्ली में पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा सभी भाजपाई मुख्यमंत्रियों और प्रदेश अध्यक्षों के साथ एक अहम चुनावी समीक्षात्मक बैठक की कमान संभालेंगे।
इस दोहरी रणनीति के ज़रिए पार्टी का मकसद साफ है—एक ओर दक्षिण के गढ़ में सेंध लगाना, दूसरी ओर बाकी देश में पार्टी संगठन और सरकारों को चुनाव के लिए फुल गियर में लाना।
तमिलनाडु, जहां बीजेपी को अब तक सीमित सफलता मिली है, पार्टी नेतृत्व अब यहां ‘मिशन एक्सपेंशन’ पर जोर दे रहा है। शाह का यह दौरा न सिर्फ पार्टी कार्यकर्ताओं में ऊर्जा भरने के लिए है, बल्कि AIADMK जैसे पुराने सहयोगियों के साथ संभावित समीकरणों को भी फिर से टटोलने की कोशिश मानी जा रही है।
शाह यहां तमिलनाडु बीजेपी की कोर टीम के साथ बैठक करेंगे, साथ ही कुछ प्रमुख धार्मिक स्थलों और समुदायों के नेताओं से भी मुलाकात का कार्यक्रम है—जिसे “सांस्कृतिक कनेक्ट” रणनीति कहा जा रहा है।
इधर, दिल्ली में बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा पार्टी के सभी मुख्यमंत्रियों और प्रदेश अध्यक्षों के साथ एक महत्वपूर्ण बंद कमरे की बैठक की अगुवाई करेंगे।
इस बैठक में निम्नलिखित बिंदुओं पर चर्चा की जाएगी:
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लोकसभा सीटवार रिपोर्ट कार्ड की समीक्षा
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सरकारी योजनाओं का ज़मीनी असर और प्रचार रणनीति
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जनता से सीधा संवाद अभियान (जैसे मेरा बूथ सबसे मज़बूत, विकास उत्सव इत्यादि)
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संभावित विपक्षी गठबंधनों से निपटने की रणनीति
सूत्रों के अनुसार, इस मीटिंग में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आगामी रैलियों और अभियानों का रोडमैप भी तय किया जाएगा।
बीजेपी की चुनावी रणनीति में यह स्पष्ट संकेत है कि पार्टी एक साथ “गवर्नेंस + ऑर्गनाइजेशन” मोड में काम कर रही है। शाह का तमिलनाडु दौरा यह जताता है कि पार्टी अब दक्षिण भारत में भी “साइलेंट वोटर बेस” को एक्टिव करने के मूड में है। वहीं, नड्डा की मीटिंग यह दर्शाती है कि शीर्ष नेतृत्व जमीनी स्तर तक तैयारी की निगरानी खुद कर रहा है।
लोकसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है, और बीजेपी अब हर राज्य, हर सीट और हर वर्ग को ध्यान में रखते हुए माइक्रो-मैनेजमेंट मोड में आ चुकी है। शाह का तमिलनाडु में होना और नड्डा का दिल्ली में संगठनात्मक चर्चा में व्यस्त रहना यह दर्शाता है कि पार्टी शीर्ष स्तर पर अब कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती।
इस चुनाव में बीजेपी सिर्फ सीट नहीं, पूरे भूगोल और जनमानस पर जीत हासिल करने के लक्ष्य के साथ मैदान में है।