समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,11 अप्रैल। अमेरिका द्वारा वैश्विक टैरिफ नीति में किए गए अचानक बदलाव ने वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में तूफान ला दिया है। 8 अप्रैल को अमेरिकी सरकार द्वारा टैरिफ बढ़ोत्तरी की पुष्टि के बाद वैश्विक शेयर बाजारों में गिरावट का दौर शुरू हुआ, जिसका सीधा असर भारतीय बाजारों पर भी पड़ा।
9 अप्रैल, बुधवार को भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट देखी गई। निवेशकों ने भारी नुकसान झेला और बाजार में बेचैनी का माहौल बन गया। बेंचमार्क इंडेक्स, सेंसेक्स 0.51 फीसदी गिरकर 73,847.15 पर बंद हुआ, जो कि 379.93 अंकों की गिरावट को दर्शाता है। इसी तरह निफ्टी में भी गिरावट देखने को मिली। सेंसेक्स के 30 में से केवल 12 स्टॉक्स हरे निशान में बंद हुए, जबकि 18 शेयरों में गिरावट ने बाजार की नब्ज को नीचे गिरा दिया।
इस गिरावट का प्रमुख कारण अमेरिका द्वारा अधिकांश देशों पर टैरिफ लागू करने की घोषणा थी, जिसमें भारत भी पहले शामिल था। लेकिन कहानी में बड़ा मोड़ तब आया जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 10 अप्रैल को एक चौंकाने वाला फैसला लेते हुए चीन को छोड़कर बाकी देशों पर लगाए गए टैरिफ को आगामी 90 दिनों के लिए टालने की घोषणा कर दी।
इस घोषणा का सीधा असर 11 अप्रैल, शुक्रवार को भारतीय शेयर बाजार पर देखने को मिला। बाजार में उछाल की ऐसी लहर देखने को मिली, जिसने निवेशकों के चेहरों पर फिर से रौनक ला दी। सेंसेक्स 1,000 अंकों की तेजी के साथ खुला और कारोबार के दौरान 1.70 फीसदी की बढ़त के साथ 75,101.19 पर पहुँच गया। निफ्टी ने भी 1.68 प्रतिशत की छलांग लगाई और 22,774.75 अंक पर कारोबार करता दिखाई दिया।
इस तेजी के बीच मेटल और फार्मा सेक्टर में खास उछाल देखने को मिला। टाटा स्टील, जेएसडब्लू स्टील, हिंडाल्को और सिपला जैसी कंपनियों के शेयरों ने जबरदस्त प्रदर्शन किया। दूसरी ओर, TCS, अपोलो हॉस्पिटल्स और ब्रिटानिया जैसे कुछ चुनिंदा शेयर अभी भी लाल निशान में कारोबार करते रहे।
तीन दिनों के उतार-चढ़ाव भरे इस घटनाक्रम ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वैश्विक नीतिगत फैसलों का असर भारतीय बाजार पर कितना गहरा होता है। हालांकि, सप्ताह के अंत में निवेशकों ने लगभग 7 लाख करोड़ रुपये की कमाई की, जो कि बाजार की वापसी का दमदार संकेत है।
अब बाजार की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि अमेरिका आने वाले 90 दिनों में क्या रुख अपनाता है। फिलहाल भारतीय निवेशकों को राहत मिली है, लेकिन वैश्विक अस्थिरता का यह खेल यहीं नहीं रुकने वाला।