26 राफेल-M कैसे बदल देंगे हिंद महासागर में भारत-चीन के बीच शक्ति संतुलन? जानिए क्यों अहम है ये डील

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,11 अप्रैल।
भारत और फ्रांस के बीच हुई राफेल-M (मरीन वर्जन) की डील न सिर्फ भारतीय नौसेना की ताकत में जबरदस्त इजाफा करेगी, बल्कि हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की रणनीतिक स्थिति को और मजबूत कर देगी। विशेषज्ञों की मानें तो यह सौदा भारत और चीन के बीच जारी समुद्री दबदबे की प्रतिस्पर्धा में ‘गेमचेंजर’ साबित हो सकता है।

राफेल-M फ्रांसीसी कंपनी डसॉल्ट एविएशन द्वारा निर्मित एक मल्टीरोल फाइटर जेट है, जिसे विशेष रूप से एयरक्राफ्ट करियर यानी समुद्री युद्धपोतों से उड़ान भरने और उतरने के लिए डिजाइन किया गया है। यह जेट हवा से हवा, हवा से ज़मीन और समुद्र से संबंधित लक्ष्यों पर हमला करने की क्षमता रखता है।

भारतीय नौसेना की INS विक्रांत और INS विक्रमादित्य जैसे एयरक्राफ्ट करियर अब इन लड़ाकू विमानों से लैस होंगे, जिससे समुद्र में भारत की मारक क्षमता में बड़ा बदलाव आएगा।

हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में चीन की गतिविधियां पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ी हैं। ‘पर्ल्स ऑफ स्ट्रिंग’ नीति के तहत चीन श्रीलंका, पाकिस्तान, म्यांमार और अफ्रीका के कुछ हिस्सों में बंदरगाहों और नौसैनिक अड्डों का निर्माण कर रहा है। इससे क्षेत्र में उसकी मौजूदगी और पकड़ लगातार मजबूत हो रही है।

ऐसे में राफेल-M जैसे अत्याधुनिक लड़ाकू विमानों से लैस होकर भारत अपनी समुद्री सीमाओं की निगरानी और रक्षा पहले से कहीं बेहतर तरीके से कर सकेगा। साथ ही, यह विमान समुद्री मिशनों, हवाई टोही और दुश्मन के ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक के लिए भी उपयुक्त है।

26 राफेल-M विमानों की इस डील से भारत न केवल तकनीकी तौर पर अपग्रेड होगा, बल्कि वह एक मजबूत समुद्री ताकत के रूप में उभरेगा। इससे भारत को अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ बने क्वाड (QUAD) समूह में और प्रभावशाली भूमिका निभाने का अवसर मिलेगा। यह चीन के बढ़ते वर्चस्व के मुकाबले में एक अहम मोर्चा साबित हो सकता है।

पूर्व नौसेना प्रमुखों और रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह डील समय की ज़रूरत थी। मौजूदा रूसी मिग-29K विमानों की उम्र बढ़ने के साथ एक नई और विश्वसनीय प्रणाली की आवश्यकता महसूस की जा रही थी, जिसे अब राफेल-M पूरा करेगा।

रक्षा विशेषज्ञ अजय शुक्ला के अनुसार, “राफेल-M भारत को लंबी दूरी तक संचालन करने, तेजी से प्रतिक्रिया देने और समुद्री क्षेत्रों में व्यापक नियंत्रण की क्षमता देगा। यह चीन के खिलाफ एक रणनीतिक बढ़त होगी।”

भारत की यह राफेल-M डील केवल एक रक्षा खरीद नहीं, बल्कि एक रणनीतिक दांव है, जो आने वाले वर्षों में हिंद महासागर क्षेत्र में शक्ति संतुलन को भारत के पक्ष में मोड़ सकती है। जहां एक ओर यह भारतीय नौसेना की क्षमताओं को बूस्ट करेगा, वहीं दूसरी ओर यह चीन के लिए एक स्पष्ट संदेश है — भारत अब समुद्र में भी ‘सुपर पावर’ बनने की राह पर है।

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