वॉशिंगटन – अमेरिका की एक भारतीय मूल की संघीय जज इंदिरा तलवानी ने ट्रंप प्रशासन को बड़ा झटका देते हुए चार देशों — क्यूबा, हैती, निकारागुआ और वेनेजुएला — के नागरिकों को अमेरिका से निर्वासित करने के फैसले पर रोक लगाने के संकेत दिए हैं। इस कदम से इन देशों के करीब 5 लाख अप्रवासियों को फिलहाल राहत मिल सकती है, जिनके अस्थायी प्रवास परमिट (Temporary Protected Status – TPS) की अवधि इस महीने समाप्त हो रही थी।
डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने हाल ही में आदेश दिया था कि इन चार देशों के उन नागरिकों को, जिन्हें TPS के तहत अमेरिका में रहने की अनुमति मिली थी, अब स्वदेश लौटना होगा क्योंकि उनका संरक्षण काल समाप्त हो रहा है। लेकिन इस आदेश के खिलाफ अदालत में मामला पहुंचा, जिस पर सुनवाई करते हुए जज तलवानी ने स्पष्ट किया कि यह निर्णय कानूनी प्रावधानों की गलत व्याख्या पर आधारित है और सरकार का तर्क तार्किक रूप से अपर्याप्त है।
सुनवाई के दौरान जज ने सरकार से पूछा कि क्या उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि इन लोगों को वापस भेजने से उनके जीवन, सुरक्षा या आजीविका को खतरा तो नहीं होगा। इस पर सरकारी पक्ष कोई ठोस जवाब नहीं दे सका।
जज इंदिरा तलवानी के रुख को संविधान के मूल मूल्यों और मानवाधिकारों की रक्षा की दिशा में एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है। उन्होंने अपने अंतरिम आदेश में कहा कि सरकार का यह कर्तव्य है कि वह किसी भी प्रवासी समुदाय के साथ न्यायसंगत और संवेदनशील रवैया अपनाए, विशेषकर तब जब वे लंबे समय से अमेरिका में रह रहे हों, काम कर रहे हों और समुदाय का हिस्सा बन चुके हों।
जज इंदिरा तलवानी, जो कि भारतीय मूल की हैं, ओबामा प्रशासन के दौरान संघीय न्यायपालिका में नियुक्त की गई थीं। उन्होंने प्रवासियों के अधिकारों को लेकर पहले भी संवेदनशील रुख अपनाया है और अदालतों में तटस्थ लेकिन मानवतावादी दृष्टिकोण के लिए जानी जाती हैं।
उनके इस ताजा फैसले को अमेरिकी मीडिया और प्रवासी समुदायों ने “मानवीय न्याय की जीत” करार दिया है। कई अप्रवासी संगठनों ने जज तलवानी की सराहना करते हुए कहा कि यह कदम न केवल पांच लाख लोगों के लिए राहत है, बल्कि अमेरिका के लोकतांत्रिक और बहुलवादी चरित्र की भी पुष्टि करता है।
ट्रंप प्रशासन से जुड़े अधिकारियों ने इस फैसले पर अप्रसन्नता जताई है और इसे न्यायपालिका का प्रशासनिक मामलों में हस्तक्षेप बताया है। हालांकि, डेमोक्रेटिक पार्टी और मानवाधिकार संगठनों ने इस निर्णय का समर्थन किया है और इसे प्रवासी अधिकारों की रक्षा के लिए मील का पत्थर बताया है।
फिलहाल अदालत ने निर्वासन प्रक्रिया पर अस्थायी रोक लगाई है और मामले की अगली सुनवाई की तिथि तय की जाएगी, जिसमें यह तय होगा कि सरकार का निर्णय पूरी तरह से अमान्य घोषित किया जाए या उसमें संशोधन की आवश्यकता हो। इस बीच, TPS धारकों को अमेरिका में रहने और काम करने की अनुमति बनी रहेगी।
भारतवंशी जज इंदिरा तलवानी का यह फैसला केवल अमेरिका में रहने वाले 5 लाख अप्रवासियों के लिए राहत नहीं, बल्कि उस न्याय प्रणाली की ताकत भी है जो कानून की व्याख्या को मानवता से जोड़कर देखती है। ट्रंप प्रशासन की नीतियों पर यह एक कानूनी सवाल है, लेकिन सामाजिक दृष्टि से यह न्याय और करुणा की मिसाल बन गया है।