समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,12 अप्रैल। भारत में तेजी से लोकप्रिय हो चुकी यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) सेवा शुक्रवार दोपहर अचानक ठप हो गई, जिससे देशभर में करोड़ों उपयोगकर्ताओं को भुगतान करने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। करीब 1.5 घंटे तक लगातार तकनीकी रुकावट के कारण न तो पैसे ट्रांसफर हो पा रहे थे, न ही दुकानों पर QR स्कैन से भुगतान हो रहा था।
देश में डिजिटल लेनदेन का सबसे बड़ा जरिया बन चुकी UPI सेवा के अचानक बंद हो जाने से आम लोग, व्यापारी, फूड डिलीवरी एजेंट्स और कैब ड्राइवरों तक को परेशानी उठानी पड़ी। कई लोगों ने शिकायत की कि ट्रांजेक्शन ‘processing’ में अटक रहा है या फिर ‘failed’ दिखा रहा है, लेकिन पैसे अकाउंट से डेबिट हो जा रहे हैं।
जैसे ही दिक्कत शुरू हुई, ट्विटर, इंस्टाग्राम और फेसबुक पर #UPIDown ट्रेंड करने लगा। लोग न केवल समस्या साझा कर रहे थे, बल्कि मज़ाकिया मीम्स और नाराज़गी भी जाहिर कर रहे थे। एक यूज़र ने लिखा, “चायवाले को 10 रुपए देने के लिए अब ATM ढूंढना पड़ रहा है, डिजिटल इंडिया कहां गया?”
भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) और प्रमुख बैंकों ने प्रारंभिक प्रतिक्रिया में बताया कि यह तकनीकी समस्या है और इस पर काम किया जा रहा है। NPCI की ओर से एक आधिकारिक बयान में कहा गया, “UPI प्लेटफॉर्म पर अस्थायी तकनीकी दिक्कत आई है, हमारी टीम इसे प्राथमिकता से हल करने में लगी हुई है। जल्द ही सेवाएं सामान्य होंगी।”
कुछ निजी बैंकों ने भी अपने ग्राहकों को SMS और ऐप नोटिफिकेशन के जरिए सूचित किया कि UPI सेवा अस्थायी रूप से बाधित है और असुविधा के लिए खेद प्रकट किया।
खुदरा व्यापारियों, पेट्रोल पंप, रेस्तरां और मेडिकल स्टोर्स पर इसका सीधा असर देखा गया। ग्राहकों को कैश की तलाश करनी पड़ी या फिर लेनदेन को टालना पड़ा। विशेष रूप से मेट्रो शहरों में जहां अधिकांश भुगतान डिजिटल माध्यमों से होते हैं, वहां यह ठप सर्विस बड़ी परेशानी का कारण बनी।
शाम लगभग 4:30 बजे कुछ बैंकों की UPI सेवा आंशिक रूप से बहाल होनी शुरू हुई, लेकिन अभी तक सभी बैंक पूरी तरह से ऑनलाइन नहीं हो सके हैं। NPCI ने संकेत दिया है कि कुछ ही समय में सभी सेवाएं सामान्य कर दी जाएंगी।
UPI जैसी तकनीक ने भले ही भारत को डिजिटल पेमेंट के क्षेत्र में विश्व पटल पर पहचान दिलाई हो, लेकिन इस तरह की तकनीकी बाधाएं यह भी दर्शाती हैं कि एक मजबूत बैकअप और सूचना तंत्र कितना जरूरी है। जब देश की आर्थिक गतिविधियां बड़ी संख्या में एक ही प्रणाली पर निर्भर हो जाती हैं, तो उसकी स्थिरता और विश्वसनीयता सर्वोपरि हो जाती है।