नई दिल्ली 14 अप्रैल 2025 : दिल्ली पुलिस ने एक ऐसे मानव तस्करी गिरोह का भंडाफोड़ किया है, जो नवजात शिशुओं को चोरी कर अमीर परिवारों को बेचता था। यह गिरोह गुजरात, राजस्थान और दिल्ली-एनसीआर में सक्रिय था और अब तक 30 से अधिक बच्चों को 5 से 10 लाख रुपए में बेच चुका है। पुलिस ने गिरोह की तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया है, जबकि मास्टरमाइंड महिला सरोज अभी फरार है।
गिरफ्तार आरोपियों की पहचान यास्मीन, अंजलि और जितेंद्र के रूप में हुई है। पुलिस के मुताबिक, यह गिरोह गरीब परिवारों, खासकर गुजरात-राजस्थान सीमा पर बसे आदिवासी समुदायों को निशाना बनाता था। वहां से नवजात बच्चों को अगवा कर दिल्ली लाया जाता था, जहां अमीर दंपत्तियों को उन्हें बेच दिया जाता था।
इस रैकेट का खुलासा तब हुआ जब दिल्ली पुलिस की टीम ने गुप्त सूचना के आधार पर 20 दिनों तक लगातार निगरानी और 20 से ज्यादा संदिग्ध मोबाइल नंबरों के कॉल रिकॉर्ड्स का विश्लेषण किया। इसके बाद 8 अप्रैल को द्वारका के उत्तम नगर इलाके से तीनों को गिरफ्तार किया गया।
गिरफ्तार अंजलि पहले भी सीबीआई द्वारा मानव तस्करी के एक केस में अरेस्ट हो चुकी है, लेकिन जमानत पर बाहर आने के बाद फिर से इस घिनौने धंधे में लिप्त हो गई। पूछताछ में खुलासा हुआ कि इस पूरे गिरोह की सूत्रधार 40 वर्षीय महिला सरोज है, जो बच्चों की ‘डिलीवरी’ से लेकर पैसों के लेनदेन तक की पूरी व्यवस्था खुद करती थी।
सरोज ने बच्चों को चुराने की जिम्मेदारी यास्मीन को दी थी। जब बच्चा उसके पास पहुंचता, तो वह अंजलि को ‘डिलीवरी’ का स्थान बता देती थी। बच्चे को सौंपने के बाद सरोज अमीर परिवारों से रकम वसूलती और सभी को उनका हिस्सा देती थी। यास्मीन और अंजलि अतीत में अंडाणु (eggs) दान करने की गैरकानूनी गतिविधियों में भी शामिल रही हैं।
पुलिस ने एक चार दिन के नवजात शिशु को भी रेस्क्यू किया है। दिल्ली पुलिस अब उन अमीर परिवारों की पहचान कर रही है, जिन्होंने इन बच्चों को खरीदा था। पुलिस का कहना है कि उनके खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
यह मामला न केवल मानवता को शर्मसार करता है, बल्कि यह भी उजागर करता है कि पैसे के लिए किस हद तक गिरोह जा सकते हैं।