चौंकाने वाला खुलासा: 26/11 मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा का लश्कर-ए-तैयबा की पीएम मोदी की हत्या की साजिश से लिंक

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नई दिल्ली, 14अप्रैल  | 2008 के मुंबई आतंकी हमलों के मास्टरमाइंड तहव्वुर हुसैन राणा से राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की पूछताछ में कई सनसनीखेज खुलासे सामने आए हैं। इनमें सबसे बड़ा खुलासा यह है कि राणा का संबंध लश्कर-ए-तैयबा (LeT) की उस साजिश से है, जिसका मकसद उस समय के गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या करना था।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, राणा की नजदीकी दोस्ती डेविड कोलमैन हेडली से थी और 2005 के आसपास हेडली के कहने पर राणा ने लश्कर के अभियानों में सक्रिय भागीदारी शुरू की। यह वही समय था जब हेडली और लश्कर के कमांडर जकी-उर-रहमान लखवी के बीच इशरत जहां ऑपरेशन को लेकर बातचीत हो रही थी।

लीक हुई खुफिया जानकारी और कानूनी दस्तावेजों से पता चलता है कि इशरत जहां को लश्कर-ए-तैयबा द्वारा एक आत्मघाती मिशन पर नरेंद्र मोदी को मारने के लिए भेजा गया था। इस दावे की पुष्टि तीन अलग-अलग स्रोतों से हुई है –

  1. NIA द्वारा डेविड हेडली की पूछताछ,

  2. 2010 में एक वरिष्ठ अमेरिकी दूतावास अधिकारी द्वारा साझा किया गया दस्तावेज़,

  3. और 2013 में खुफिया ब्यूरो (IB) द्वारा सीबीआई को सौंपी गई रिपोर्ट।

IB की रिपोर्ट में पाकिस्तानी आतंकी महमूद बसरा का भी उल्लेख है, जिसे जम्मू-कश्मीर पुलिस ने गिरफ्तार किया था। बसरा ने इस मॉड्यूल से जुड़े एक अन्य आतंकी बाबर उर्फ अब्दुल अदनान की पहचान की थी, जिसकी तस्वीरें इशरत जहां एनकाउंटर के बाद टीवी पर प्रसारित हुई थीं।

इस रिपोर्ट में यह भी दोहराया गया है कि तत्कालीन यूपीए-2 सरकार ने इशरत एनकाउंटर केस में मोदी और तत्कालीन गृह मंत्री अमित शाह को फंसाने की कोशिश की थी। दावा किया गया है कि अक्टूबर 2013 में दिल्ली में एक केंद्रीय मंत्री के निवास पर एक गुप्त बैठक हुई थी, जिसमें तीन मंत्री, एक वरिष्ठ सीबीआई अधिकारी और एक प्रमुख राजनीतिक नेता शामिल थे। उस बैठक में IB अधिकारियों पर दबाव डालने की रणनीति पर चर्चा हुई, ताकि वे इशरत के लश्कर से जुड़े होने की जानकारी से पीछे हट जाएं।

राणा की जांच में यह भी संकेत मिल रहे हैं कि देश के अंदर कुछ लोग लश्कर की साजिश में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जुड़े हो सकते हैं। राणा की अमेरिका से प्रत्यर्पण के बाद शुरू हुई पूछताछ से उम्मीद जताई जा रही है कि इस पूरी साजिश के पीछे कौन-कौन था, यह जल्द उजागर हो सकेगा।

गौरतलब है कि 2009 में गृह मंत्रालय ने गुजरात हाई कोर्ट में एक हलफनामा दायर कर कहा था कि इशरत के आतंकवाद से संबंध थे। यह बयान उस समय एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता को नागवार गुजरा था, जिन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिखकर नाराज़गी जताई थी।

जांच से जुड़े अधिकारियों के अनुसार, मोदी को निशाना बनाने की यह साजिश 2014 के आम चुनावों से कुछ महीने पहले तक जारी रही। इस मामले के पुनः प्रकाश में आने से उस दौर में जांच एजेंसियों – विशेषकर सीबीआई और आईबी – के राजनीतिक इस्तेमाल को लेकर नई बहस छिड़ गई है।

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