माल्टा का अद्भुत सम्मान: महाराणा प्रताप की तस्वीर वाला दुनिया का सबसे भारी चांदी का सिक्का
साल 2003 में यूरोप के एक छोटे से द्वीपीय देश माल्टा ने एक ऐसा कदम उठाया, जिसने न सिर्फ इतिहास प्रेमियों को चौंकाया बल्कि भारतीयों के लिए गर्व का विषय भी बन गया। माल्टा ने उस वर्ष चांदी का एक सिक्का जारी किया, जिसे अब तक का दुनिया का सबसे भारी चांदी का सिक्का माना जाता है। लेकिन इसकी खासियत सिर्फ इसका वज़न नहीं, बल्कि उस पर उकेरी गई छवि है — भारत के वीर योद्धा महाराणा प्रताप की तस्वीर।
इस सिक्के को माल्टा की विशेष श्रृंखला “Knights of Malta” का हिस्सा माना गया, जिसमें विश्व इतिहास के महान योद्धाओं को सम्मानित किया गया है। यह अपने आप में अनूठा है कि 16वीं सदी के एक हिंदू राजा को यूरोप के एक देश ने इतना बड़ा सम्मान दिया है — एक ऐसा देश जो भारत से लगभग 6500 किलोमीटर दूर स्थित है।
इस सिक्के की अंकित कीमत 5000 माल्टीज़ लीरा है, लेकिन इसका संग्रह मूल्य (collector’s premium) इससे कहीं अधिक है। इसकी एक प्रमुख वजह यह भी है कि माल्टा सरकार ने ऐसे केवल 100 सिक्के ही जारी किए। यानि यह सिक्का न केवल ऐतिहासिक दृष्टिकोण से विशेष है, बल्कि यह एक अत्यंत दुर्लभ संग्रहणीय वस्तु भी बन गया है।
सिक्के के एक ओर महाराणा प्रताप की शौर्यपूर्ण छवि के साथ उनका जन्म व मृत्यु वर्ष उकेरा गया है — 1540 से 1597। वहीं दूसरी ओर माल्टा देश का प्रतीक चिन्ह और उसका नाम अंकित है। यह संयोजन एक ओर भारत के इतिहास को गौरवान्वित करता है और दूसरी ओर यह दर्शाता है कि विश्व भर में महाराणा प्रताप के साहस और आत्मसम्मान की गाथा कितनी गूंजती है।
इस घटना से एक कड़वी सच्चाई भी सामने आती है। भारत में आज भी इतिहास की पुस्तकों में विदेशी आक्रांताओं को महान बताया जाता है, जबकि महाराणा प्रताप जैसे स्वदेशी योद्धा जिन्हें विदेशी भूमि पर भी सम्मान मिला, उन्हें वह स्थान नहीं मिल पाया जिसके वे हकदार हैं।
माल्टा द्वारा यह अद्भुत सम्मान न केवल महाराणा प्रताप के महान चरित्र को पहचानने का प्रतीक है, बल्कि यह भारत के लिए भी एक प्रेरणा है — कि वह अपने असली नायकों को पहचानें और उन्हें वह स्थान दें जो वे वास्तव में deserve करते हैं।
माल्टा का यह सिक्का इतिहास नहीं, बल्कि चेतावनी है — कि अगर हम अपने इतिहास को नहीं पहचानेंगे, तो दुनिया हमें हमारी जड़ों से परिचित कराएगी।