वेल्लोर में वक्फ बोर्ड का झटका: पूरी बस्ती पर दावा, 150 परिवार बेदखली की कगार पर

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!

वेल्लोर (तमिलनाडु), 16 अप्रैल — तमिलनाडु के वेल्लोर जिले में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसने न सिर्फ स्थानीय निवासियों को हिला कर रख दिया है, बल्कि राज्य की राजनीति में भी हलचल पैदा कर दी है। वक्फ बोर्ड ने जिले के कट्टुकोल्लई गांव की पूरी जमीन पर अपना दावा ठोकते हुए वहां रह रहे 150 से अधिक परिवारों को नोटिस जारी कर दिए हैं।

इन नोटिसों में कहा गया है कि गांव की जमीन, जो सर्वे नंबर 362 में दर्ज है, 1954 से एक मस्जिद से जुड़े वक्फ ट्रस्ट की संपत्ति है। वक्फ के स्थानीय संरक्षक एफ. सैयद सथाम ने इन नोटिसों के जरिए ग्रामीणों से या तो जमीन खाली करने या फिर निकटवर्ती दरगाह को “भूमि किराया” व कर अदा करने की मांग की है।

एफ. सैयद सथाम ने यह दावा ऐसे समय में किया है जब उनके पिता की मृत्यु के बाद उन्होंने 2021 में संरक्षक का पद संभाला। सथाम का कहना है कि उनके पिता ने पूर्व में इस अधिकार का प्रयोग नहीं किया, लेकिन अब वह “पुरानी गलती को सुधारना” चाहते हैं।

हालांकि, गांव के लोग इसे शुद्ध रूप से एक “धार्मिक आड़ में जमीन कब्जाने की साजिश” बता रहे हैं। हिंदू मुन्नानी के नेता महेश ने इसे “संगठित धोखाधड़ी” करार देते हुए वेल्लोर कलेक्टर कार्यालय तक एक विरोध रैली निकाली।

महेश ने बताया कि केवल सर्वे नंबर 362 ही नहीं, बल्कि 330/1 जैसे अन्य खसरे भी वक्फ संपत्ति घोषित किए जा चुके हैं, जिन पर कई परिवार दशकों से खेती और आवास कर रहे हैं।

स्थानीय निवासी बालाजी, जिनके घर और दुकान को नोटिस में अवैध कब्जा बताया गया है, कहते हैं:

“मेरे दादा परदादा इसी खेत में काम करते थे। सरकार ने हमें पट्टा दिया, हमने टैक्स चुकाया, स्कूल बनवाया। अब अचानक कोई कहता है कि यह ज़मीन हमारी नहीं है?”

एक्सेस की गई नोटिस में स्पष्ट रूप से चेतावनी दी गई है कि यदि वक्फ नियमों का पालन और किराया अदा नहीं किया गया तो कानूनी बेदखली की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

जिला कलेक्टर ने इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए ग्रामीणों को फिलहाल कोई किराया न देने की सलाह दी है और जांच पूरी होने तक कार्रवाई रोकने का आश्वासन दिया है।

वहीं, यह मामला राज्यव्यापी बहस का रूप लेता जा रहा है। कई नागरिक संगठनों ने वक्फ बोर्ड के दावों की पारदर्शिता पर सवाल उठाते हुए तमिलनाडु सरकार से सभी वक्फ संपत्तियों की एक स्वतंत्र ऑडिट कराने की मांग की है।

राजनीतिक दलों ने इस प्रकरण को मुद्दा बनाते हुए सरकार पर हमला बोला है। विपक्षी नेताओं का कहना है कि

“अगर धार्मिक ट्रस्टों को बिना जांच के इतनी शक्तियां दी जाएंगी तो पूरे राज्य में अराजकता फैल सकती है। यह घटना एक ट्रेलर है, पूरी फिल्म तो अभी बाकी है।”

कट्टुकोल्लई गांव के निवासियों के लिए अब यह सिर्फ जमीन का सवाल नहीं, बल्कि अस्तित्व की लड़ाई बन गई है। भविष्य में यह मामला न केवल कानूनी बल्कि राजनीतिक और सामाजिक विमर्श का केंद्र बन सकता है।

 

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!
Leave A Reply

Your email address will not be published.