इंदौर – भारत के प्रख्यात वॉइस ओवर कलाकार हरिश भिमानी ने कहा है कि आज के दौर में आवाज़ से जुड़े पेशेवरों के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की समझ जरूरी हो गई है। वे मध्य प्रदेश राज्य प्रेस क्लब द्वारा आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला “वॉयस ऐज़ अ करियर” के दूसरे दिन बोल रहे थे। उन्होंने स्पष्ट कहा,
“आज एआई-आधारित टूल्स किसी भी विषय पर स्क्रिप्ट लिख सकते हैं, आपकी गलतियों को सुधार सकते हैं और उच्चारण में मदद कर सकते हैं – बशर्ते आपको उन्हें इस्तेमाल करना आता हो।”
भिमानी ने थिएटर, रेडियो, टेलीविजन, पॉडकास्ट और एंकरिंग से जुड़े 60 से अधिक प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए लाइव डेमो में बताया कि स्पीच-टू-टेक्स्ट एप्स कैसे स्पष्टता और गति पर निर्भर करते हैं।
“अगर आप बहुत तेज़ बोलते हैं या गलत उच्चारण करते हैं, तो ये टूल्स सही ट्रांसक्रिप्शन नहीं देंगे। आवाज़ की सटीकता ही इनका आधार है।”
कार्यशाला का एक यादगार पल तब आया जब एक प्रतिभागी ने ChatGPT द्वारा तैयार की गई कविता का पाठ किया। इसके बाद मुंशी प्रेमचंद की रचनाएं और आकाशवाणी के अनुभवी कलाकार संतोष जोशी का वॉइस ओवर प्रस्तुत किया गया।
भिमानी ने भी मशहूर गीत ‘चलने का नाम ज़िंदगी है’ की नाटकीय प्रस्तुति की और जावेद अख्तर की कविता संग्रह ‘तरकश’ की भूमिका का पाठ करते हुए वॉयस मॉडुलेशन, पेसिंग और भावनात्मक अभिव्यक्ति पर गहन टिप्स दिए।
हरिश भिमानी ने प्रेस क्लब की इस पहल की खुलकर प्रशंसा की और क्लब अध्यक्ष प्रवीण खारीवाल और पत्रकार शकील अख्तर का आभार व्यक्त किया, जिन्होंने ‘लीर्न विद द लीजेंड’ जैसी व्यावहारिक ट्रेनिंग सीरीज़ की शुरुआत की। उन्होंने बताया कि यह शॉर्ट टर्म कोर्स महीनों की प्लानिंग का नतीजा है और इसका उद्देश्य प्रतिभागियों को प्रोफेशनल वॉयस करियर के लिए तैयार करना है।
भिमानी के सत्र से पहले, आकाशवाणी के दिग्गज संतोष जोशी ने प्राण, बलराज साहनी और संजीव कुमार जैसी बॉलीवुड हस्तियों की आवाज़ की नकल कर उनके अंदाज, लहजे और थिएटर परंपरा की बारीकियों को समझाया। उन्होंने कहा,
“प्रशिक्षण से आवाज़ में निखार आता है, लेकिन आपकी प्राकृतिक टोन आपकी सबसे बड़ी पूंजी होती है।”
कार्यशाला का समापन प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र प्रदान करने के साथ हुआ। हरिश भिमानी और समन्वयक शकील अख्तर को प्रवीण खारीवाल, संतोष जोशी, दीपक माहेश्वरी, आलोक बाजपेयी, और पुष्कर सोनी ने सम्मानित किया।
कलास्तंभ संस्था की ओर से कलाकार भारती साहू ने भिमानी को एक स्मृति स्केच भी भेंट किया। क्लब सचिव यशवर्धन सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन किया।
प्रतिभागियों ने इस दो दिवसीय कार्यशाला को “जीवन बदलने वाला अनुभव” बताया, जिसने उन्हें वॉयस इंडस्ट्री के नए आयामों से परिचित कराया।
हरिश भिमानी की उपस्थिति में न केवल तकनीकी ज्ञान मिला, बल्कि आत्मा से जुड़ी आवाज़ की महत्ता भी समझ आई – यही इस वर्कशॉप की सबसे बड़ी सफलता रही।