नई दिल्ली – बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यक नेता भवेश चंद्र राय की अपहरण के बाद बर्बर हत्या ने भारत को झकझोर कर रख दिया है। भारत ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए इसे “सुनियोजित और लगातार हो रहे उत्पीड़न का हिस्सा” करार दिया है। विदेश मंत्रालय (MEA) के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने एक तीखे बयान में बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार को लताड़ते हुए कहा कि अल्पसंख्यकों, विशेषकर हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना ढाका की जिम्मेदारी है।
जयसवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा,
“हमने बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यक नेता भवेश चंद्र राय के अपहरण और निर्मम हत्या का मामला देखा है। यह घटना मौजूदा अंतरिम सरकार के तहत सुनियोजित उत्पीड़न की एक बढ़ती हुई श्रृंखला का हिस्सा है, जहां पहले के हमलों के अपराधी अब भी खुलेआम घूम रहे हैं।”
58 वर्षीय भवेश चंद्र राय, बांग्लादेश पूजा उद्जापन परिषद के बीरल इकाई के उपाध्यक्ष थे और दिनाजपुर में हिंदू समुदाय की एक मुखर आवाज माने जाते थे। रिपोर्टों के अनुसार, 18 अप्रैल को उन्हें उनके घर से एक संदिग्ध कॉल आया, जिसके बाद चार लोग दो मोटरसाइकिलों पर आए और उन्हें जबरन उठा ले गए। कुछ घंटे बाद वह गंभीर रूप से घायल अवस्था में मिले और अस्पताल में उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।
उनकी पत्नी शांतना राय ने मीडिया से कहा,
“फोन पर सिर्फ यह पूछा गया कि वो घर पर हैं या नहीं। यह एक सोची-समझी साजिश थी। हमलावरों को अच्छी तरह पता था कि वे किसे निशाना बना रहे हैं।”
यह घटना ऐसे समय पर हुई है जब भारत और बांग्लादेश के बीच पहले से ही तनाव चरम पर है। पिछले साल बांग्लादेश में हुए तीव्र एंटी-गवर्नमेंट प्रदर्शन के बाद पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता छोड़नी पड़ी थी। तभी से देश में अल्पसंख्यकों, विशेषकर हिंदुओं पर हमलों की घटनाएं तेज़ी से बढ़ी हैं।
भारत पहले भी कई बार बांग्लादेश से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर चिंता जता चुका है। लेकिन भवेश राय की हत्या ने इस मुद्दे को और भड़का दिया है, खासकर तब जब हाल ही में कुछ बांग्लादेशी अधिकारियों ने पश्चिम बंगाल में हिंसा पर टिप्पणी की थी, जिसे भारत ने सख्ती से खारिज करते हुए कहा,
“बांग्लादेश को अपनी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर ध्यान देना चाहिए, न कि दिखावटी नैतिकता में उलझना चाहिए।”
भारत का यह सख्त रुख दर्शाता है कि दक्षिण एशिया में अल्पसंख्यक अधिकारों और सांप्रदायिक सौहार्द की स्थितियां तेजी से बिगड़ रही हैं। विदेश मंत्रालय ने कहा,
“हम इस घटना की कड़ी निंदा करते हैं और बांग्लादेश की अंतरिम सरकार को याद दिलाते हैं कि वह सभी नागरिकों की, विशेषकर कमजोर वर्गों की, सुरक्षा की जिम्मेदारी से बच नहीं सकती।”
भवेश चंद्र राय की हत्या न केवल मानवाधिकारों पर गहरा आघात है, बल्कि भारत-बांग्लादेश के बीच डिप्लोमैटिक संबंधों में भी एक और खाई बना सकती है। क्या ढाका अपनी नीतियों में बदलाव करेगा, या यह हिंसा का दौर और तेज़ होगा?
इस सवाल का जवाब आने वाले दिनों में सामने आएगा, लेकिन एक बात साफ है – भारत अब चुप नहीं रहने वाला।