नई दिल्ली – भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पुडुचेरी विधानसभा चुनाव 2026 की तैयारियों का बिगुल बजा दिया है। पार्टी ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मंसुख मांडविया को पुडुचेरी चुनाव प्रभारी नियुक्त किया है, जबकि केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को सह-प्रभारी की जिम्मेदारी सौंपी गई है। दोनों नियुक्तियां तत्काल प्रभाव से लागू हो गई हैं, जिससे साफ हो गया है कि भाजपा अब दक्षिण भारत में अपने अभियान को और आक्रामक बनाने जा रही है।
पुडुचेरी की 33 सदस्यीय विधानसभा (जिसमें 30 निर्वाचित व 3 केंद्र द्वारा नामित सदस्य होते हैं) का कार्यकाल 15 जून, 2026 को समाप्त हो रहा है। यहां पांच सीटें अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित हैं। ऐसे में जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे राजनीतिक गतिविधियां भी तेज़ हो रही हैं।
वर्तमान में केंद्र शासित इस क्षेत्र में एनआर कांग्रेस-बीजेपी गठबंधन की सरकार है। 2021 के विधानसभा चुनावों में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को बहुमत मिला था, जहां एनआर कांग्रेस ने 10 सीटें और भाजपा ने 6 सीटें जीती थीं। इसके उलट कांग्रेस नीत गठबंधन महज 3 सीटों पर सिमट गया था। यह परिणाम उस समय सियासी भूचाल की तरह था।
मंडाविया को प्रभारी बनाना इस बात का साफ संकेत है कि भाजपा अब पुडुचेरी में अपने जनाधार को और मज़बूत करने की दिशा में गंभीर है। मंडाविया, जो अपनी संगठनात्मक क्षमताओं और जनसंपर्क कौशल के लिए जाने जाते हैं, पहले भी गुजरात जैसे चुनावी राज्यों में प्रभावी भूमिका निभा चुके हैं। वहीं, अर्जुन राम मेघवाल की मौजूदगी भाजपा को कानूनी और प्रशासनिक रणनीति के लिहाज़ से मजबूती देगी।
दिल्ली और जम्मू-कश्मीर के साथ पुडुचेरी उन तीन केंद्र शासित प्रदेशों में शामिल है, जहां विधानसभा है। ऐसे में यहां की हर राजनीतिक हलचल राष्ट्रीय स्तर पर मायने रखती है। भाजपा दक्षिण भारत में पहले ही कर्नाटक और तेलंगाना में अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुकी है। अब पार्टी की नजर पुडुचेरी में भी एक बार फिर सत्ता पर मजबूत पकड़ बनाने पर है।
कांग्रेस के गढ़ रहे पुडुचेरी में भाजपा की बढ़ती गतिविधियां साफ इशारा करती हैं कि पार्टी कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। 2021 में जिस तरह कांग्रेस का पतन हुआ था, क्या वह सिलसिला 2026 में भी जारी रहेगा? या विपक्ष कोई नया समीकरण बना पाएगा? यह तो आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन भाजपा ने अपने पत्ते तो अभी से खोल दिए हैं — और ये दांव बिल्कुल साधे हुए लगते हैं।
नज़रें अब पुडुचेरी पर टिक गई हैं, जहां एक बार फिर सियासत गरमाने लगी है। मंडाविया और मेघवाल की जोड़ी, क्या भाजपा को दिलाएगी दक्षिण में नई जीत? जवाब चुनावी रण में मिलेगा!