पहलगाम आतंकी हमले के बाद कश्मीर के पर्यटन पर संकट के बादल – अब आगे क्या ?

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22 अप्रैल 2025 को कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने न केवल जान-माल की क्षति की, बल्कि घाटी की सबसे अहम आर्थिक धुरी ”पर्यटन” को गंभीर रूप से प्रभावित करने की शुरुआत कर दी है। भविष्य के परिदृश्य को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि आने वाले समय में कश्मीर के टूरिज्म सेक्टर को बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। पहलगाम हमले ने पर्यटकों के मन में भय की भावना भर दी है। अप्रैल-मई जैसे सीजन में जब हजारों पर्यटक कश्मीर आते हैं, ऐसे समय में इस हमले ने पर्यटकों के भरोसे को गहरा झटका दिया है। नेशनल कॉनफेरेंस के सांसद आगा सैयद रूलाह के बयान के इस बयान  बाद हमले शुरू हुए कि “पर्यटक कश्मीर की संस्कृति के ऊपर हमलावर हैं”  और आज  सुबह से करीब एक लाख पर्यटकों ने बुकिंग कैंसिल कर दी । श्रीनगर पहलगाम , गुलमार्ग इत्यादि अनेक  जगहों से लोग बुकिंग कैंसिल कर रहे हैं । यदि सुरक्षा को लेकर विश्वास बहाल नहीं किया गया, तो आने वाले महीनों में पर्यटकों की संख्या में और अधिक  भारी गिरावट देखने को मिल सकती है।

साल 2024 में कश्मीर ने 2.36 करोड़ पर्यटकों का स्वागत किया था, जिनमें से 65,000 विदेशी थे। 2030 तक इस आंकड़े के ₹30,000 करोड़ की टूरिज्म इंडस्ट्री में बदलने की उम्मीद थी। लेकिन अब इस विकास की गति धीमी पड़ सकती है। हो सकता है कि होटल बुकिंग्स और फ्लाइट्स की मांग महीनों तक नीचे बनी रहे, जिससे घाटी की अर्थव्यवस्था चरमरा सकती है।

कश्मीर में 2.5 लाख से अधिक लोग पर्यटन से सीधे या परोक्ष रूप से जुड़े हुए हैं, जैसे टैक्सी चालकों से लेकर हाउसबोट मालिकों, लोकल गाइड्स और हस्तशिल्प व्यापारी आदि। यदि पर्यटक आना बंद करते हैं, तो ये छोटे व्यवसाय गंभीर वित्तीय संकट में आ सकते हैं। इससे घाटी में बेरोजगारी और असंतोष की स्थिति बन सकती है।

पिछले कुछ वर्षों में अबू धाबी के लुलु ग्रुप जैसे अंतरराष्ट्रीय निवेशकों ने कश्मीर में कदम रखा था। होटल चेन ‘ताज विवांता’ ने भी अपने विस्तार की योजना बनाई थी। लेकिन हालिया हमले ने निवेशकों की नज़र में कश्मीर को फिर से अस्थिर क्षेत्र के रूप में पेश किया है। इससे आने वाले समय में निवेश योजनाओं पर विराम लग सकता है।केंद्र सरकार द्वारा घोषित 1000 करोड़ रुपये की टूरिज्म योजनाएं, वंदे भारत ट्रेन और वीजा ऑन अराइवल जैसी पहलें फिलहाल अनिश्चितता के घेरे में हैं। नई परियोजनाओं की गति रुक सकती है और पहले से चल रही योजनाओं पर भी संशय बना रहेगा।

कश्मीर की सांस्कृतिक विविधता और शांतिपूर्ण जीवनशैली ही यहां की सबसे बड़ी पहचान है। अगर इस पहचान को बार-बार सुरक्षा के खतरे से जोड़ा जाएगा, तो वैश्विक पर्यटक धीरे-धीरे इसकी ओर पीठ मोड़ सकते हैं। इससे घाटी की सांस्कृतिक छवि को भी धक्का लगेगा।

लगातार आतंकी घटनाओं से स्थानीय लोगों में भी भय का वातावरण बन सकता है, जिससे पर्यटन से जुड़ी सेवाओं का संचालन बाधित होगा। हाउसबोट्स, होटल्स और पर्यटन सेवाएं बंद होने से आम जीवन अस्त-व्यस्त हो सकता है।

पहलगाम आतंकी हमला केवल एक घटना नहीं है, यह कश्मीर के पर्यटन और अर्थव्यवस्था के भविष्य पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न भी है। आने वाले समय में न केवल घाटी को सुरक्षा के मोर्चे पर अधिक सजग रहना होगा, बल्कि सरकार को राजनीतिक  प्रयासों से पर्यटकों का विश्वास भी बहाल करना होगा। यदि यह नहीं हुआ, तो यह हमला सिर्फ एक दिन की त्रासदी नहीं रहेगा, बल्कि इसके प्रभाव आने वाले वर्षों तक घाटी को झकझोरते रहेंगे।

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