इस भयावह हमले की गहरी चिंता के बीच, 23 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में नई दिल्ली में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी (CCS) की आपातकालीन बैठक बुलाई गई। बैठक में फैसला लिया गया कि पाकिस्तान के साथ लंबे समय से चले आ रहे सिंधु जल समझौते (Indus Water Treaty) को निलंबित किया जाए तथा सीमा पर स्थित अटारी बॉर्डर को अस्थायी रूप से बंद रखा जाए। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह कदम भारत की सीमाओं की अवहेलना बर्दाश्त नहीं करने का स्पष्ट संदेश था और शीघ्र ही आतंकवाद रोधी प्रयासों को और प्रभावी बनाने का उद्देश्य रखता है।
अगले दिन यानी आज, 24 अप्रैल को संसद भवन में सर्वदलीय बैठक आयोजित की गई, जिसमें सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने भाग लिया। बैठक की शुरुआत पहलगाम हमले के शहीदों और घायल नागरिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए दो मिनट के मौन से की गई।
केंद्रीय राज्य मंत्री किरेन रिजिजू ने समापन पर कहा, “सभी राजनीतिक दलों ने पाकिस्तान के खिलाफ लिए गए निर्णयों का सर्वसम्मति से समर्थन किया और आतंकवाद रोधी भविष्य के सभी कदमों में सरकार को पूर्ण सहयोग देने का आश्वासन दिया।”
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कहा, “हमले की निंदा सभी ने की है और देश की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है। विपक्ष हर हाल में सरकार के साथ खड़ा रहेगा।”
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी कार्रवाई को समयानुकूल और आवश्यक करार दिया।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सुप्रिया सुले व प्रफुल्ल पटेल ने सरकार को खुफिया जानकारी साझा करने और रणनीति तैयार करने में सहयोग की प्रतिबद्धता जताई।
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, AAP के संजय सिंह, टीएमसी के सुदीप बंदोपाध्याय एवं सपा के रामगोपाल यादव ने भी राष्ट्रहित में उठाए गए कदमों के पीछे खड़े रहने का वचन दिया।
बैठक में कुछ विपक्षी नेताओं ने सुरक्षा एजेंसियों की तैयारियों पर भी चिंता जताई कि हमलावरों को सीमा पार कर पहलगाम तक पहुंचने में कैसे सफलता मिली। उन्होंने बताया कि साझा खुफिया सूचनाओं के आदान-प्रदान को और सघन करना होगा ताकि भविष्य में ऐसी चूक न हो।
वर्तमान परिप्रेक्ष्य में, भारत के सामने सबसे बड़ा चैलेंज होगा सीमा पार आतंकवाद रोधी नेटवर्क को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उजागर करना और अपनी सीमाओं पर सतर्कता बढ़ाना। साथ ही, राजनयिक मोर्चे पर भी समर्थन जुटाने की रणनीति प्राथमिकता पायेगी, क्योंकि भारत–पाकिस्तान संबंधों पर इस घटना का दूरगामी प्रभाव रहेगा।
भारत ने हमेशा चुनौतियों का सामना दिलेरी और सूझबूझ से किया है। पहलगाम हमले के बाद अब सवाल यह उठता है—क्या फिर सीमापार सर्जिकल स्ट्राइक की जाएगी, जहाँ विशेष कमांडो रात के अंधेरे में शत्रु ठिकानों को निशाना बनाते हैं? या फिर आईएनएस विक्रांत की गर्जना से समुद्री मार्गों पर दबाव बनाया जाएगा, जिससे पाकिस्तान को महसूस हो कि पानी पर भी उसकी कोई जगह नहीं रही?
मगर केवल हथियारों से काम नहीं चलेगा, कूटनीति के मंच पर भी देश अपनी बात मजबूती से रखेगा, आतंकवाद प्रायोजन उजागर करेगा और वैश्विक समर्थन जुटाएगा। साइबर दुनिया में भी जवाबी कदम उठेंगे, जहां डिजिटल निशाने साधकर दुश्मन के नेटवर्क थामे जाएंगे। चाहे मैदान में सर्जिकल स्ट्राइक हो, नौसैनिक ताकत का प्रदर्शन हो, या कूटनीतिक वार, भारत हर मोर्चे पर तैयार है।