दिल्ली में ABVP का भव्य ‘यशवंत’ केंद्रीय कार्यालय उद्घाटित — डॉ. मोहन भागवत बोले, “कार्यालय केवल इमारत नहीं, उद्देश्य की पवित्र भूमि होनी चाहिए”
नई दिल्ली — राजधानी के केंद्र में आज एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक ऊर्जा से भरपूर क्षण देखने को मिला, जब अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने अपने नये नौ-मंजिला केंद्रीय कार्यालय ‘यशवंत’ का उद्घाटन किया। यह भवन सिर्फ ईंट-पत्थरों का ढांचा नहीं, बल्कि राष्ट्रीय एकता, सांस्कृतिक संवाद और युवा चेतना का नया तीर्थस्थल बन गया है।
RSS प्रमुख डॉ. मोहनराव भागवत ने इसका उद्घाटन करते हुए बेहद प्रेरणादायक शब्दों में कहा:
“कार्यालय केवल एक ढांचा नहीं होता, यह एक जीवंत संकल्प होता है। यह स्थान उद्देश्य, चरित्र और ज्ञान का मंदिर बनना चाहिए।”
उन्होंने ABVP के विचारक यशवंतराव केलकर के नाम पर इस भवन के नामकरण को राष्ट्रीय विचारधारा की दिशा में एक ठोस कदम बताया।
इस शुभ अवसर पर देश के कई प्रतिष्ठित नेता और विचारक मौजूद रहे, जिनमें पूर्व उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू, वरिष्ठ भाजपा नेता डॉ. मुरली मनोहर जोशी, नितिन गडकरी, जेपी नड्डा, धर्मेंद्र प्रधान, पीयूष गोयल, और मानसुख मंडाविया शामिल रहे। दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता भी कार्यक्रम में उपस्थित रहीं।
ABVP के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. राजशरण शाही ने कहा,
“यह भवन उन हजारों कार्यकर्ताओं के समर्पण का प्रतीक है, जिन्होंने दशकों तक राष्ट्र निर्माण में योगदान दिया। अब यही कार्यालय युवा नेतृत्व के अगले चरण का लॉन्चपैड बनेगा।”
महासचिव डॉ. वीरेंद्र सिंह सोलंकी ने बताया कि ABVP की मौजूदगी देश के हर कोने में है, और सिर्फ उत्तर-पूर्व भारत में ही दो लाख से ज्यादा सदस्य हैं। उन्होंने कहा,
“यह भवन सिर्फ कार्यालय नहीं, बल्कि भारत की विविधता को एकता में पिरोने की प्रयोगशाला होगा।”
1966 में शुरू हुआ ‘Students’ Experience in Interstate Living (SEIL)’ कार्यक्रम भारत के उत्तर-पूर्व और बाकी हिस्सों के बीच सांस्कृतिक पुल बनाने का काम करता है। इस नये भवन में SEIL का नया राष्ट्रीय मुख्यालय स्थापित किया गया है।
इस भवन की विशेषताओं में शामिल हैं:
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उत्तर-पूर्वी छात्रों के लिए डॉरमेट्री
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150 सीटों वाला ऑडिटोरियम
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शोध पुस्तकालय
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आध्यात्मिक प्रेरणा से युक्त छतवाला गार्डन
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स्वामी विवेकानंद की 12 फुट ऊँची अष्टधातु प्रतिमा
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देवी सरस्वती की संगमरमर पर उकेरी गई प्रतिमा
ABVP के इस नये कदम से यह स्पष्ट है कि अब युवा सिर्फ विश्वविद्यालय परिसरों में नहीं, बल्कि राष्ट्रीय विमर्श के केंद्र में खड़े हैं। यह कार्यालय एक आंदोलन की तरह कार्य करेगा, जहां शिक्षा, संवाद, संस्कार और संगठन मिलकर भारत को नई दिशा देंगे।
‘यशवंत’ अब केवल एक भवन नहीं, बल्कि विचारों की मशाल है — जो राष्ट्रवाद, संस्कृति और युवा शक्ति के संगम से भविष्य की रोशनी जलाएगी।