समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 6 अप्रैल। 4 राज्यों में रामनवमी की यात्रा पर पथराव , हत्या , लूट पाट एवं आगज़नी की घटनाएँ घटित हुई हैं।बंगाल , बिहार , गुजरात एवं महाराष्ट्र आदि राज्यों में हिंसक घटनाएँ एवं भारी जन – धन हानि हुई है।
-रामनवमी की शोभायात्रा पर पथराव या विवाद के 100 से ज्यादा मामले पूरे देश भर में सामने आए हैं… कुछ प्रदेश में बीजेपी के द्वारा पूरे गाजे बाजे से चुनाव जीतने के बाद मुसलमानों ने अपना शक्तिप्रदर्शन किया है । उन्होंने ये दिखाया है कि चुनाव हारने या जीतने से उनके रुख पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है और वो काफिरों के खिलाफ और ज्यादा ताकत से लड़ेंगे।
– ऐसा नहीं कि रामनवमी की शोभायात्रा में कोई पहली बार हमला हुआ है । शैलेश कुमार बंदोपाध्याय की किताब दंगों का इतिहास में लिखा है कि बरेली में 1816, 1837, 1850, 1870, 1871, 1872 में रामनवमी के जुलूस को लेकर दंगे हुए हैं । 26 सितंबर 1923 को बदायूं में मुसलमानों ने दशहरे के जुलूस पर हमला कर दिया था । 21 नवंबर 1923 को नागपुर में मुसलमानों ने हिंदू धार्मिक जुलूस पर हमला कर दिया और 30 जुलाई 1928 में बेंगलौर में गणपति जुलूस पर मुसलमानों ने अचानक हमला कर दिया जिसके बाद दंगा भड़क उठा।
-हिंदुओं के जुलूसों और धार्मिक यात्राओं पर हमला करना मुसलमानों का एक बहुत पुराना पैटर्न है… मुसलमान कुरान, शरीयत, हदीस और मुहम्मद की आज्ञाओं से बंधे हुए हैं और उनका ये मजहबी जिम्मा है कि वो काफिरों का रास्ता तंग करें और काफिरों के रास्तों में कांटे बिछाएं । वो अपने इसी काम में तब से लगे हुए हैं जब से पैदा हुए हैं…
-जब इस्लाम का अरब की जमीन पर जन्म हुआ तो उनका सबसे बड़ा दुश्मन यहूदी था और तमाम हदीसों में ऐसी रवायत है कि मुहम्मद और उसके साथी यहूदियों पर पत्थर बरसाते थे । यही परंपरा भारत में भी तब से जारी है जब से इस्लाम ताकतवर हुआ है।
-जिहादी भारत के शरीर के अंदर एक कैंसर की तरह हैं…. जब भारत के शरीर के पश्चिमी और पूर्वी भाग में ये कैंसर बहुत ज्यादा बढ़ गया तब भारत को लगा कि शायद अगर पश्चिमी और पूर्वी अंगों को अलग कर देंगे तो ये कैंसर शरीर से खत्म हो जाएगा लेकिन 1947 के बाद भी भारत के अंदर जिहाद का कैंसर मौजूद रहा अगर आबादी का पूरा अदल बदल हो गया होता तो ये कैंसर भारत के अंदर से खत्म हो जाता है लेकिन गांधी और नेहरू की बेवकूफी एवं राजनीतिक दलों के वोट बैंक की वजह से आज भारत के पूरे शरीर में जिहाद का कैंसर फेल चुका है।
– खुशवंत सिंह की डायरी में लिखा है कि सिर्फ 1990 में ही पंजाब कश्मीर असम और देश के दूसरे हिस्सों में दंगों में 36 हजार जानें गईं यानी हर दिन 100 लोगों की मौत दंगों में हुई… इतने लोग तो युद्ध में भी नहीं मरते… मतलब साफ है कि हिंदू और मुसलमान परस्पर एक युद्ध में हैं पाकिस्तान के निर्माण के बाद भी हिंदू इस युद्ध से छुटकारा नहीं पा सके हैं।
-कुल मिलाकर भारत के लिए स्थिति बहुत हृदय विदारक होने वाली है…. आप सभी से अपील है कि आने वाले भविष्य की भयावहता को ध्यान में रखते हुए आप कम से कम चार बच्चे जरूर पैदा करें ताकी हिंदू इस संभावित गृहयुद्ध का सामना करने के योग्य बन सके… अन्यथा ये जिहाद का कैंसर पूरे भारत को खत्म कर देगा.
जयहिंद।
एस एस विजय मिश्र