समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 22 जुलाई। हिंदू धर्म में प्रत्येक व्रत व त्योहार का एक खास महत्व होता है और उस दिन विशेष पूजा-पाठ की जाती है. महिलाओं के लिए करवा चौथ के साथ ही तीज का त्योहार भी बहुत महत्वपूर्ण होता है. बता दें कि तीज का पर्व साल में तीन बार आता है. इसमें कजरी तीज, हरतालिका तीज और हरियाली तीज शामिल हैं. तीज का व्रत महिलाएं अखंड सौभाग्य की कामना और घर में सुख-शांति के लिए रखती हैं. लेकिन हरियाली तीज और हरतालिका तीज को लेकर लोगों के बीच काफी कंफ्यूजन हैं. कुछ लोगों को लगता है कि ये दोनों ही तीज एक होती हैं, जबकि ऐसा नहीं है. हरियाली और हरतालिका तीज एक-दूसरे से बिल्कुल अलग होती हैं. आइए जानते हैं हरियाली तीज और हरतालिका का धार्मिक महत्व व इनमें अंतर.
हरियाली तीज और हरतालिका तीज में अंतर
बता दें कि हरियाली तीज और हरतालिका तीज अलग-अलग महीने में आती हैं. हरियाली तीज सावन के महीने में मनाई जाती हे और हरतालिका तीज भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तीज के दिन मनाई जाती हैं. एक तीज से व्रत शुरू होता है और दूसरी तीज पर व्रत की समाप्ति होती है. हालांकि, दोनों ही तीज में माता पार्वती व भगवान शिव का पूजन किया जाता है और यह पूजन महिलाएं अखंड सौभाग्य की कामना से करती हैं.
दोनों के नियम एक-दूसरे से बिल्कुल अलग
हरियाली तीज की बात करें तो इसे मौज-मस्ती का पर्व कहा जाता है. यह दिन महिलाओं व कुंवारी कन्याओं के लिए बहुत ही खास होता है. इस दिन सभी एक जगह इकट्ठा होकर हंसी-ठिठोली करती हैं और इस दौरान झूला झूलने की भी परंपरा है. कई जगहों पर हरियाली तीज के दिन लड़कियां अपने मायके जाती हैं और वहां मस्ती करती हैं. इस दिन हरे रंग का विशेष महत्व माना गया है. इसलिए महिलाएं हरियाली तीज के दिन हरे कपड़े और हरी चूड़ियां पहनती हैं. साथ ही इस दिन मेहंदी लगाने की भी परंपरा है.
वहीं हरतालिका तीज के दिन महिलाएं कड़े नियमों के साथ व्रत रखती हैं. इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा की जाती है और उन्हें अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मांगा जाता है. इस व्रत में महिलाएं 16 श्रृंगार कर भगवान की अराधना करती हैं और दिन भर फलाहार के बाद रात्रि के समय चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करती हैं. बता दें कि दोनों तीज में छोटी व बड़ी का भी अंतर है. धार्मिक मान्यताओं के लिए हरियाली तीज को छोटी या सामान्य तीज कहा जाता है. जबकि हरतालिका तीज बड़ी तीज होती है.