नई दिल्ली: भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को स्मृति स्थल में श्रद्धाजंलि अर्पित की। राष्ट्रपति उन अनेकों लोगों में शुमार हुए जो वाजपेयी को आखरी सलामी देने पहुचें थे। कोविंद ने वाजपेयी की दत्तक पुत्री नमिता कौल को भावपूर्ण लेख भी लिखा।
राष्ट्रपति ने अपने लेख में लिखा, “इस गहरे दु:ख के समय में आपके और परिवार के अन्य सदस्यों के प्रति मैं अपनी हार्दिक मनोव्यथा व्यक्त करता हूं। अटल जी का देहावसान आपके और अन्य परिजनों के लिए व्यक्तिगत आघात तो है ही, मेरे लिए भी यह एक निजी क्षति है। उनके महान और गरिमामय व्यक्तित्व ने ही मुझे सार्वजनिक जीवन के प्रति आकर्षित किया और मैं अपना कानून का प्रोफेशन छोड़कर उनका सहयोगी बन गया। उनके साथ काम करते हुए जो अनुभव मुझे प्राप्त हुए, वे अविस्मरणीय हैं। कई साल बाद भारत का राष्ट्रपति चुने जाने के बाद जब मैं उनसे भेंट करने गया तो बहुत बीमार होने के बावजूद उन्होंने अपनी आँखों के इशारे से ही मेरा अभिवादन स्वीकार किया। मैंने उनके मौन आशीर्वाद को महसूस किया।
उन्होने आगे लिखते हुए कहा, अटल जी के जाने से, इस देश के करोड़ों लोग, उनकी कमी महसूस कर रहे हैं। वे हम सबके प्रिय प्रधानमंत्री, दुर्लभ गुणों वाले राष्ट्रीय नेता और भारतीय राजनीति की एक महान विभूति थे। अपने लम्बे और अति-विशिष्ट सार्वजनिक जीवन में, उन्होंने अनगिनत तरीकों से, असंख्य लोगों के जीवन को प्रभावित किया। एक स्वाधीनता सेनानी और चिन्तक के रूप में, लेखक और कवि के रूप में, एक सांसद और प्रशासक के रूप में और अंतत: प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने देश को बहुत कुछ दिया। वे भारत के राजनीतिक पटल पर, एक सम्पूर्ण व्यक्तित्व के स्वामी के रूप में अपनी अलग पहचान रखते थे।
कोविंद ने 1998 के पोखरण परमाणु परीक्षण, 1999 का करगिल युद्ध, उनकी सरकार द्वारा किए गए आर्थिक बदलाव और देश की जीडीपी को विकास के रास्ते पर आगे ले जाने जैसे कार्यों की प्रशंसा की।
भारत रतन अटल बिहारी वाजपेयी की मृत्यु गुरुवार को एम्स में हुई थी। वो काफी समय से बिमार चल रहे थे।