पीएम गतिशक्ति के तहत 55वीं नेटवर्क प्लानिंग ग्रुप की बैठक में छह बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए की सिफारिश

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,15सिंतबर। उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) में विशेष सचिव सुमिता डावरा की अध्यक्षता में 55वीं नेटवर्क प्लानिंग ग्रुप (एनपीजी) की बैठक 12 सितंबर को नई दिल्ली में आयोजित की गई थी। इस बैठक में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय, नागर विमानन मंत्रालय, रेल मंत्रालय, पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय, विद्युत मंत्रालय, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, दूरसंचार विभाग और नीति आयोग जैसे सदस्य मंत्रालयों और विभागों ने सक्रिय भागीदारी की।

विशेष सचिव डावरा ने इस बात पर प्रकाश डाला कि ‘समग्र सरकार’ के दृष्टिकोण को अपनाने से परियोजना की योजना और उनके कार्यान्वयन में एक नया आयाम जुड़ गया है, जिससे परियोजनाओं के शीघ्र कार्यान्वयन के लिए विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के बीच की दूरी समाप्त हो गई है। बैठक के दौरान पीएम गतिशक्ति योजना के विभिन्न लाभों पर भी प्रकाश डाला गया, जैसे एनएमपी पर डिजिटल सर्वेक्षण, डीपीआर तैयार करने में लगने वाले समय में कमी, तकनीक के तौर पर सक्षम प्लेटफार्मों के माध्यम से परियोजना के कुशल संचालन और बुनियादी ढांचे तथा सामाजिक क्षेत्र की संपत्तियों के लिए व्यापक योजना, जिनके लाभदायक परिणाम मिल रहे हैं।

बैठक के दौरान, रेल मंत्रालय की तीन परियोजनाओं तथा सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की तीन परियोजनाओं सहित छह परियोजनाओं का आकलन किया गया, जिनकी कुल परियोजना लागत 14,081 करोड़ रुपए है। पीएम गतिशक्ति दृष्टिकोण के लॉन्च के बाद से, एनपीजी द्वारा आकलन की गई परियोजनाओं की संख्या 106 हो गई है, जिनकी कुल लागत लगभग 11 लाख करोड़ रुपये है।

एनपीजी ने अपनी 55वीं बैठक में, तीन रेलवे लाइन परियोजनाओं का आकलन किया, जिनकी कुल परियोजना लागत 5374.5 करोड़ रुपए है। एक ग्रीनफील्ड रेलवे लाइन परियोजना पश्चिम बंगाल, ओडिशा और झारखंड से होकर गुजरती है, जबकि दूसरी ग्रीनफील्ड रेलवे लाइन ओडिशा में स्थित है, जो मौजूदा रेलवे लाइन का एक वैकल्पिक और छोटा हिस्सा होगा और मौजूदा ट्रैक पर भीड़भाड़ कम करने में मदद मिलेगी। तीसरी रेलवे लाइन गुजरात राज्य में स्थित है। इन रेलवे लाइनों से यात्री परिवहन को लाभ होने के अलावा, कोयला, चूना पत्थर, लौह अयस्क और तैयार उत्पादों, जैसे लोहा और स्टील, सीमेंट आदि के परिवहन को आसान बनाकर स्टील, सीमेंट और बिजली उद्योगों को लाभ मिलने की संभावना है।

इसके अलावा, एनपीजी ने 8706 करोड़ रुपये की कुल परियोजना लागत वाली तीन सड़क परियोजनाओं के बारे में भी चर्चा की। एक सड़क परियोजना (धुबरी पुल – गोराग्रे) मेघालय राज्य में स्थित है और यह पूर्व-पश्चिम सड़क गलियारे को जोड़ने वाले निर्माणाधीन 4-लेन धुबरी-फुलबारी पुल को जोड़ेगी। यह देश के उत्तर-पूर्वी हिस्से को आसान कनेक्टिविटी से जोड़ने की सरकार की पहल का एक हिस्सा है। इस परियोजना से न केवल कृषि-उत्पाद परिवहन को लाभ होगा, बल्कि भारत-बांग्लादेश सीमावर्ती क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में भी सुविधा होगी। एक अन्य ग्रीनफील्ड सड़क परियोजना (खड़गपुर-मोरेग्राम) खड़गपुर सिलीगुड़ी रोड कॉरिडोर का हिस्सा है। इस परियोजना से खड़गपुर से सिलीगुड़ी के बीच की कुल दूरी 112 किमी और यात्रा का समय 7 घंटे तक कम हो जाएगा। इस परियोजना से न केवल आकांक्षी जिलों को लाभ होगा, बल्कि पश्चिम मेदिनीपुर के वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) प्रभावित जिलों को भी लाभ होगा। इस परियोजना से क्षेत्र के समग्र सामाजिक-आर्थिक उत्थान में मदद मिलेगी। इस सड़क से हल्दिया/कोलकाता बंदरगाह के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को भी लाभ होगा। तीसरी सड़क परियोजना अर्थात; देवघर बाईपास से शहर में यातायात की भीड़ कम होने और स्थानीय औद्योगिक पार्कों और समूहों को लाभ होने की उम्मीद है।

विशेष सचिव ने यह भी बताया कि पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के मार्गदर्शक सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए, ये परियोजनाएं क्षेत्र के विकास को सक्षम करने वाले सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी प्रदान करेंगी, जिससे मौजूदा शहरों और रेल इन्फ्रास्ट्रक्चर पर यातायात का दवाब कम होगा।

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