आम जनता को मंहगाई से मिली थोड़ी राहत, अरहर और चना दाल के दाम में 4% की गिरावट

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 13अक्टूबर। हाल के महीनों में अरहर और चना दाल की कीमतों में 4% की रिकॉर्ड कमी दर्ज की गई है. इस गिरावट ने कंज्यूमर्स और किसानों दोनों को हैरान कर दिया है. दाल की कीमतों में आई इस गिरावट के पीछे कई फैक्टर्स को जिम्मेदार बताया जा रहा है. खासकरके, इंपोर्ट में बढ़ोतरी और घरेलू मांग में कमी आने से भावों में कमी आई है.

देश में अरहर और चना की दालें खाने की मुख्य सामग्री हैं,. इनके दाम घटने पर लोगों को खुशी होती है. हालांकि, इकोनॉमिक लैंडस्केप में बदलाव के कारण कीमतों में गिरावट दर्ज की गई है.

दाल की कीमतों में आई इस गिरावट का पहला कारण इंपोर्ट में बढ़ोतरी है. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संबंधों को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई भारत सरकार की उदारीकृत व्यापार नीतियों के कारण दालों के आयात में वृद्धि दर्ज की गई है.

मुख्य रूप से म्यांमार और कनाडा जैसे देशों से सस्ते आयात ने बाजार में बाढ़ ला दी है, जिससे अधिशेष पैदा हुआ है जिससे कीमतें नीचे आ गई हैं. हालांकि इस नीति का मकसद दालों की स्थिर आपूर्ति सुनिश्चित करना है, लेकिन इसने अनजाने में घरेलू उत्पादकों को प्रभावित किया है.

इसके साथ ही मांग में कमी ने स्थिति को और भी खराब कर दिया है. खाने की बदलती प्राथमिकताओं और आर्थिक अनिश्चितताओं जैसे फैक्टर्स के कारण कई घरों में अरहर और चना दाल की खपत कम हो गई है. उपभोक्ता वैकल्पिक प्रोटीन स्रोतों की ओर रुख कर रहे हैं और भोजन की आदतों में इस बदलाव का इन दालों की कीमतों पर गहरा प्रभाव पड़ा है.

किसान, जो दलहन उत्पादन उद्योग में सबसे आगे हैं, इस कीमत में गिरावट का खामियाजा भुगत रहे हैं. मांग में कमी और कम कीमतों के कारण, उनकी आय पर भारी असर पड़ा है, जो खेती-किसानी करने वाले वर्गों में चिंता बढ़ा रहा है. कई लोग कम लाभप्रदता से जूझ रहे हैं, जो भविष्य में अरहर और चना दाल की खेती को हतोत्साहित कर सकता है.

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