समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 16नवंबर। भारत सरकार के प्रमुख नीति निर्माण संस्थान, नीति आयोग ने हाल ही में एक वर्ष की अवधि के लिए चार प्रसिद्ध शोध विशेषज्ञ नियुक्त किये हैं। चार नए सदस्य, प्रमुख सामाजिक, आर्थिक और तकनीकी मुद्दों से जुड़ी अपनी समझ और विशेषज्ञता के साथ-साथ महत्वपूर्ण कार्य अनुभव से भी नीति आयोग को समृद्ध करेंगे।
नीति आयोग में शामिल होने वाले चार प्रसिद्ध व्यक्ति हैं:
(i) प्रो. (डॉ.) अनूप सिंह:
पंद्रहवें वित्त आयोग के सदस्य डॉ. अनूप सिंह ने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष में एशिया प्रशांत विभाग के निदेशक, पश्चिमी गोलार्ध विभाग के निदेशक और प्रबंध निदेशक के कार्यालय में विशेष संचालन निदेशक के रूप में काम किया है। वे भारतीय रिजर्व बैंक के तत्कालीन गवर्नरों के विशेष सलाहकार भी थे। डॉ. अनूप सिंह ने व्यापक आर्थिक मुद्दों, निगरानी और संकट प्रबंधन पर विस्तार से लिखा है, जिसमें दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया, यूरोप और लैटिन अमेरिका में उभरते बाजारों, बदलाव और विकासशील देशों में आईएमएफ समर्थित कार्यक्रमों को डिजाइन करने में मदद करना शामिल है। उनके शोध भारत की राजकोषीय संरचना, राजकोषीय प्रशासन और राजकोषीय संघवाद के विषयों पर केंद्रित हैं।
(ii) डॉ. ओ.पी. अग्रवाल
1979 बैच के आईएएस अधिकारी, डॉ. ओपी अग्रवाल के पास शहरी परिवहन में व्यापक अनुभव और विशेषज्ञता है। वे राष्ट्रीय शहरी परिवहन नीति के निर्माण में भी शामिल थे। उन्होंने वाशिंगटन डीसी में वैश्विक शहरी परिवहन सलाहकार के रूप में 6 वर्षों तक विश्व बैंक के साथ भी काम किया है। वे इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस में कार्यकारी निदेशक और वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट के सीईओ भी थे। उन्होंने 6 वर्षों की अवधि के लिए विकासशील देशों में परिवहन पर अमेरिकी परिवहन अनुसंधान बोर्ड समिति की अध्यक्षता की। उन्होंने शहरी परिवहन नीति और शासन के मुद्दों पर कई शोध पत्र लिखे हैं। उनके पास भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली से परिवहन अर्थशास्त्र में पीएचडी, मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, यूएसए से परिवहन और प्रौद्योगिकी नीति में मास्टर डिग्री और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मद्रास से विद्युत् अभियांत्रिकी में स्नातक की डिग्री है।
(iii) डॉ. अजय चौधरी
डॉ. अजय चौधरी एचसीएल के सह-संस्थापकों में से एक हैं और उन्होंने भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग की स्थापना में अग्रणी भूमिका निभाई है। उन्होंने 1999 से विभिन्न सरकारी समितियों में कार्य किया है। 2009 में, उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा गठित टास्क फोर्स की अध्यक्षता की, जिसने देश के इलेक्ट्रॉनिक्स आयात बिल के संबंध में महत्वपूर्ण सिफारिशें कीं। इन सिफ़ारिशों ने इलेक्ट्रॉनिक्स नीति की आधारशिला रखी। उन्हें इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा भारत सेमीकंडक्टर मिशन में सलाहकार बोर्ड के सदस्य के रूप में नामित किया गया है। वे विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और नवाचार क्षेत्र पर परामर्श समूह के सदस्य और नीति आयोग में सेमीकंडक्टर क्षेत्र पर गठित समिति के सदस्य भी थे। उनके योगदान को देखते हुए, उन्हें 2011 में प्रतिष्ठित पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। डॉ. अजय चौधरी ने आईआईटी हैदराबाद और आईआईटी नया रायपुर सहित शिक्षण केंद्रों को स्वरुप प्रदान करने और बौद्धिक विकास के लिए स्थान सृजित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। डॉ. अजय चौधरी के पास जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज से इलेक्ट्रॉनिक्स और टेलीकम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री है। उन्होंने अमेरिका के मिशिगन विश्वविद्यालय में स्कूल ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन के कार्यकारी कार्यक्रम में भाग लिया है। उन्हें आईआईटी रूड़की, भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी, डिजाइन और विनिर्माण संस्थान, जबलपुर और इंजीनियरिंग और प्रबंधन विश्वविद्यालय कोलकाता द्वारा मानद उपाधि (डी.एससी) से भी सम्मानित किया गया है।
(iv) श्री. वी. लक्ष्मीकुमारन
श्री वी. लक्ष्मीकुमारन एक कानून विशेषज्ञ हैं और उनके पास कानून में 35 वर्षों का अनुभव है। वे अंतर्राष्ट्रीय कराधान और स्थानांतरण मूल्य निर्धारण, वस्तु और सेवा कर (जीएसटी), सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क, सेवा कर, मूल्य वर्धित कर (वैट), विदेश व्यापार नीति, विशेष आर्थिक क्षेत्र सहित कराधान के सभी क्षेत्रों में कंपनियों को सलाह देते हैं तथा परामर्श, सलाह, मुकदमा और अनुपालन सेवाओं की पेशकश करते हैं। उन्होंने भारत द्वारा शुरू की गई कई एंटी-डंपिंग, सब्सिडी और व्यापार जांच में कई देशों की कंपनियों का सफलतापूर्वक प्रतिनिधित्व किया है। उन्होंने विभिन्न देशों में कंपनियों और सरकारी प्राधिकरणों के बीच कई विवादों को संभाला है। इंटरनेशनल चैंबर ऑफ कॉमर्स के एक प्रतिनिधि के रूप में, लक्ष्मीकुमारन ने ब्रुसेल्स में वर्गीकरण पर डब्ल्यूसीओ-एचएस (विश्व सीमा शुल्क संगठन – हार्मोनाइज्ड सिस्टम) समिति की बैठकों में भाग लिया है।
इन प्रसिद्ध व्यक्तित्वों की बौद्धिक विविधता, वैश्विक और राष्ट्रीय धारणा, सामाजिक-आर्थिक क्षेत्रों में विशेषज्ञता; नीति आयोग को देश के ल