नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान की सेनाएं पहली बार एक साथ किसी सैन्य अभ्यास में हिस्सा ले रही हैं। अभ्यास रूस में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के तहत शुक्रवार को शुरू हो गया है, जो 29 अगस्त तक चलेगा। इसमें एससीओ के सदस्य देश रूस, चीन, उज्बेकिस्तान, तजाकिस्तान, किर्गिस्तान और कजाकिस्तान शामिल हैं। भारत और पाकिस्तान को पिछले साल जून में इस संगठन का पूर्णकालिक सदस्य बनाया गया था।
चीन में अप्रैल में एससीओ बैठक के दौरान रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस अभ्यास में शामिल होने की पुष्टि की थी। ये सभी आठ देश शांति मिशन 2018 के बैनर तले यह अभ्यास कर रहे हैं। भारत ने 200 सैनिक भेजे हैं। इनमें 167 आर्मी और 33 एयर फोर्स से हैं।
सैन्य अभ्यास का मकसद
सेना के प्रवक्ता कर्नल अमन आनंद ने बताया, ‘इस अभ्यास से शंघाई सहयोग संगठन में शामिल देशों को आतंकवादियों के खिलाफ ऑपरेशन चलाने के लिए प्रशिक्षण मिल सकेगा। इस दौरान सेनाओं के बीच पेशेवर बातचीत, ऑपरेशन्स में आपसी समझदारी, ज्वाइंट कमांड की स्थापना, कंट्रोल स्ट्रक्चर्स और आतंकी खतरों से निपटने को लेकर मॉक ड्रिल जैसे अभ्यास किए जाएंगे।’
भारत के अभ्यास में शामिल होने की वजह
आठ सदस्यीय एससीओ विश्व की 40% जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करता है। ग्लोबल जीडीपी में इसकी हिस्सेदारी 20% है। भारत मानता है कि एससीओ सदस्य के तौर पर वो क्षेत्र में बढ़ते आतंकवाद के खिलाफ अभियान में बड़ा किरदार अदा कर सकता है। भारत चीन के साथ भी संयुक्त अभ्यास कर रहा है। उम्मीद की जा रही है कि सितंबर में ही दोनों देश द्विपक्षीय संयुक्त सैन्य अभ्यास दोबारा शुरू कर देंगे। पिछले साल डोकलाम विवाद के चलते ये अभ्यास नहीं हो पाया था।