समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,11 जनवरी।जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की कुलपति प्रोफेसर शांतिश्री धूलिपुड़ी पंडित ने केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); प्रधानमन्त्री कार्यालय (पीएमओ), कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह से हुई भेंट में स्टार्टअप सहयोग के साथ-साथ उन शैक्षणिक परियोजनाओं पर चर्चा की, जिन्हें विश्वविद्यालय विशेष रूप से जैव प्रौद्योगिकी विभाग और सामान्य रूप से विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सहयोग से आगे बढ़ा रहा है। .
कुलपति के साथ प्रोफेसर सतीश चंद्र गरकोटी (रेक्टर), प्रोफेसर सुप्रिया चक्रवर्ती, डीन स्कूल ऑफ लाइफ साइंसेज और जेएनयू के अन्य वरिष्ठ संकाय सदस्य इत्यादि थे, जिन्होंने मंत्री और उनकी टीम के साथ पादप गुणसूत्र विज्ञान (प्लांट जीनोमिक्स), जैविक विज्ञान (लाइफ साइंसेज) में अनुसंधान के संभावित क्षेत्रों पर चर्चा की।
प्रोफेसर शांतिश्री धूलिपुड़ी पंडित ने मत्री महोदय को अपने कुलपति बनने के बाद विश्वविध्यालय में हुई नवीन गतिविधियों के साथ ही परिसर में बुनियादी ढाचे के विकास और रोजगार सृजन में इस प्रतिष्ठित संस्थान के योगदान की जाकारी दी I
प्रतिनिधिमंडल ने जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा संचालित विश्वविद्यालय अंत: विषयक जीव विज्ञान विभागों को शिक्षा एवं अनुसंधान कार्य को प्रोत्साहन (बूस्ट टू यूनिवर्सिटी इंटरडिसिप्लिनरी लाइफ साइंस डिपार्टमेंट्स फॉर एजुकेशन एंड रिसर्च – बीआईएलडीईआर) (डीबीटी-बिल्डर) कार्यक्रम के अंतर्गत जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) द्वारा समर्थित जेएनयू की चल रही सामाजिक विकास परियोजनाओं पर विस्तार से चर्चा की। प्रतिनिधिमंडल ने अद्यतन उपकरण अनुसंधान सुविधा (एडवांस्ड इंस्ट्रुमेंटेशन रिसर्च फैसिलिटी -एआईआरएफ) में उपलब्ध 25 परिष्कृत अत्याधुनिक उपकरणों पर भी प्रकाश डाला, जो सभी जेएनयू विज्ञान स्कूलों के साथ-साथ दिल्ली के बाहर अन्य शैक्षणिक अनुसंधान संस्थानों और निजी कंपनियों / उद्योगों में अनुसंधान में अंतःविषय अनुप्रयोगों को पूरा करते हैं।
शिक्षा जगत, स्टार्टअप और उद्योग के बीच एक एकीकृत दृष्टिकोण पर जोर देते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत को दुनिया की ज्ञान-आधारित अर्थव्यवस्था के रूप में उभरने के लिए पिछले कुछ वर्षों में एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाया है और जब नवाचार और प्रौद्योगिकी की बात आती है तो इसमें उल्लेखनीय चहुमुखी प्रगति भी हुई है। उन्होंने कहा कि भारत आज वैज्ञानिक और तकनीकी कौशल के मामले में दुनिया के अग्रणी देशों में से एक है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने ‘संपूर्ण विज्ञान’ दृष्टिकोण को रेखांकित करते हुए कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने बुनियादी ढांचे के विकास और रोजगार सृजन को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करने के लिए भारत सरकार के सभी वैज्ञानिक विभागों की संयुक्त मासिक बैठकें शुरू की हैं। उन्होंने कहा कि जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) के बीआईआरएसी पीपीपी मॉडल के समर्थन से छात्रों को अरोमा मिशन और कृषि स्टार्टअप में स्टार्टअप शुरू करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय (जेएनयू) के स्कूल ऑफ लाइफ साइंसेज में अत्यधिक संभावनाएं हैं।
उन्होंने कहा, “अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (एनआरएफ) और नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी-2020) भारत में छात्रों और युवाओं के लिए नए करियर और उद्यमिता के अवसर खोलने के आश्वासन के साथ स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र को पूरक बनाती है।”
प्रोफेसर पंडित ने कहा कि जेएनयू का स्कूल ऑफ लाइफ साइंसेज अपने स्नातकोत्तर (एमएससी) कार्यक्रम में एनईपी 2020 को लागू करने वाला पहला संस्थान है, जबकि बी.टेक (कंप्यूटर साइंस) कार्यक्रम छात्रों के बीच जबरदस्त सफलता के रूप में उभरा है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि विश्वविद्यालय भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली के छात्रों को विषय व्याख्यान की सीधे जानकारी (लाइव फीड) और रिकॉर्डेड वीडियो प्रदान कर रहा है और इसे अन्य संस्थानों के छात्रों को भी निशुल्क प्रदान किया जा सकता है, जबकि विदेशी छात्रों के लिए यह नाममात्र लागत पर उपलब्ध होगा।
प्रोफेसर पंडित, जो इस प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय की पहली महिला कुलपति और जेएनयू की पहली पूर्व छात्र वीसी भी हैं, ने भी मंत्री से जेएनयू को उत्कृष्ट संस्थान का दर्जा देने पर ध्यान देने की मांग की। उन्होंने कहा कि ” जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय (जेएनयू) ने हाल ही में युवाओं के लिए सीखने और रोजगार सृजन के नए रास्ते पर ध्यान केंद्रित करते हुए अपने आदर्श वाक्य ‘तमसो मां ज्योतिर्गमय’ को अपनाया है।