हमें ऐसी दृष्टि को अपनाना होगा जिसमें यह विकास आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरण अनुकूल भी हो: कमलेश पासवान
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 19जुलाई। केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री कमलेश पासवान ने सुषमा स्वराज भवन नई दिल्ली में आयोजित निष्पादन समीक्षा समिति (पीआरसी) की बैठक में कहा कि इस समिति का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि हमारी योजनाओं और कार्यक्रमों का सही और प्रभावी तरीके से क्रियान्वयन हो रहा है।
कमलेश पासवान ने कहा कि भारत की आत्मा गांवों में बसती है। ग्रामीण विकास मंत्रालय का उद्देश्य बहुआयामी नीतियों के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में समावेशी और स्थाई विकास करना है। ग्रामीण क्षेत्रों में विकास तभी संभव है, जब वर्तमान ग्रामीण अवसंरचना का सुदृढ़ीकरण के साथ-साथ नए अवसरों का निर्माण हो, जिसके फलस्वरूप आजीविकाओं के अवसर बढ़ेगें, रोजगार का सृजन होगा, ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले युवा साथियों को वहीं कौशल विकास के माध्यम् से वहीं रोजगार के अवसर प्राप्त होगें। इसके अतिरिक्त ग्रामीण क्षेत्रों में बसने वाले युवा मात्र रोजगार लेने वाले ही नहीं अपितु रोजगार देने वाले भी बनेंगें।
उन्होंने कहा कि ग्रामीण विकास के लिए हमें ऐसी दृष्टि को अपनाना होगा जिसमें यह विकास आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरण अनुकूल भी हो। इन तीनों महत्वपूर्ण मापदण्डों को ध्यान में रखते हुए हम सभी को हमारे निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ती हेतु कार्य योजनाओं पर काम करना होगा।
कमलेश पासवान ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का मानना है, “जब गांवों का विकास होता है, तब देश का विकास होता है।” इसी भावना के साथ, हम सभी यहां एकत्रित हुए हैं ताकि हमारे गांवों का समग्र विकास हो सके और नीतियों पर विचार-विमर्श कर सके। हमारे प्रधानमंत्री द्वारा सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास को ध्यान में रखते हुए गुणात्मक विकास की दिशा और दृष्टि अपनाने का संकल्प लिया गया है।
प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण (पीएमएवाई-जी) की हमारी सरकार ने पीएमएवाई-जी के तहत जो लक्ष्य निर्धारित किए थे, उन्हें पूरा करने में हम सफल हुए हैं। 11 जुलाई, 2024 तक हमने 2.95 करोड़ घरों के लक्ष्य में से 2,94,67,490 घरों को स्वीकृत कर दिया है, जो कि कुल लक्ष्य का 99.9% है। यह हमारे सामूहिक प्रयासों का परिणाम है और इसके लिए मैं आप सभी को बधाई देना चाहता हूँ। शेष घरों की स्वीकृति सबसे पहले की जानी चाहिए। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को लक्ष्यों के आवंटन के 100 दिनों के भीतर पहली किस्त जारी कर दी जाए। लाभार्थियों की पहचान और चयन प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण की आधारशिला रही है।
राज्य मंत्री पासवान ने कहा कि जहां तक आवास प्लस सूची में भूमिहीन परिवारों की पहचान का संबंध है तो राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से अनुरोध है कि वे यह सुनिश्चित करें कि लाभार्थी को सरकारी भूमि या किसी अन्य भूमि पर आवास प्रदान किया जाए जिसमें पंचायत की सामान्य भूमि, सामुदायिक भूमि या अन्य स्थानीय प्राधिकरणों की भूमि शामिल हो।
राज्य मंत्री पासवान ने कहा कि “लखपति दीदी” और “ड्रोन दीदी” जैसी पहलें भी इसी दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं, जो ग्रामीण भारत का चेहरा बदल सकती हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 100 दिनों के विज़न में इस दिशा में कदम उठाना हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। राज्य मंत्री पासवान ने कहा कि यह सुनिश्चित करना है कि हमारे विकास कार्यक्रमों का लाभ ग्रामीण समाज के हर वर्ग को पहुँचे, विशेष रूप से वे ग्रामीण जो आज भी विकास की मुख्यधारा से दूर हैं। आकांक्षी जिलों और आर्थिक रूप से पिछड़े क्षेत्रों में भी विकास की रफ्तार में तेजी लाने का अनुरोध आप सभी से करता हूँ। इसके साथ-साथ हमे पूर्वोत्तर के राज्यों में भी विकास में और अधिक तेजी लाने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि शहरों में रहने वाले नौजवानों के लिए अनेकों अवसर उपलब्ध हैं, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों मे रहने वाले नौजवान अपनी पढ़ाई तक पूरी नहीं कर पाते हैं, ऐसे ही नौजवानों को कौशल प्रशिक्षण देकर रोजगार से जोड़ने का काम किया जा रहा है। युवाओं के लिए चलाई जा रही कौशल से आत्मनिर्भर बनने तक की यह योजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए भारत की नई उड़ान के संकल्प को सिद्धि की ओर ले जाती नजर आने लगी है।
कमलेश पासवान ने कहा कि मेरा मानना है कि दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना के प्रशिक्षित नौजवानों को बेहतर प्लेसमेंट के अवसर उपलब्ध करवाने की आवश्यकता है, इसके लिए कंपनियों और नियुक्तियों के साथ बैठकें आयोजित करनी होगी।