गहलोत बोले: 800 साल पुरानी अजमेर दरगाह पर कोर्ट केस गलत, पीएम मोदी भी यहां चादर चढ़ा चुके

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,29 नवम्बर।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अजमेर की ऐतिहासिक दरगाह शरीफ को लेकर चल रहे विवाद पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने दरगाह पर हो रहे कोर्ट केस को ‘गलत’ करार देते हुए इसके पीछे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लोगों को जिम्मेदार ठहराया। गहलोत ने कहा कि यह दरगाह सिर्फ एक धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि देश की गंगा-जमुनी तहजीब का प्रतीक है।

गहलोत का बयान

अजमेर दरगाह को लेकर हो रहे मुकदमे पर सवाल उठाते हुए गहलोत ने कहा:

  • “यह दरगाह 800 साल पुरानी है और इसकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता है।”
  • “यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद चादर चढ़ा चुके हैं, लेकिन उनकी ही पार्टी के लोग इस पर विवाद खड़ा कर रहे हैं।”
  • गहलोत ने इसे सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की साजिश बताते हुए इस मुद्दे पर सख्त टिप्पणी की।

दरगाह का ऐतिहासिक महत्व

ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह शरीफ अजमेर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि भारत की साझी विरासत का प्रतीक है।

  • इसे हर साल लाखों श्रद्धालु, चाहे वे किसी भी धर्म के हों, देखने आते हैं।
  • इस दरगाह पर चादर चढ़ाना भारतीय नेताओं, विशेषकर प्रधानमंत्रियों और राष्ट्रपति, की परंपरा रही है।
  • गहलोत ने इस बात पर जोर दिया कि इस दरगाह पर किसी प्रकार का विवाद या मुकदमा इस सांस्कृतिक धरोहर को कमजोर कर सकता है।

भाजपा पर गहलोत का निशाना

गहलोत ने इस मुद्दे पर भाजपा को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि:

  • “भाजपा के लोग हर धार्मिक स्थल को विवाद का केंद्र बनाने की कोशिश कर रहे हैं।”
  • “यह राजनीति नहीं, बल्कि धार्मिक भावनाओं को आहत करने और सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का प्रयास है।”
  • गहलोत ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि उनकी राजनीति ‘ध्रुवीकरण’ पर आधारित है।

विपक्ष का जवाब

भाजपा ने गहलोत के बयान को खारिज करते हुए इसे राजनीति से प्रेरित बताया। भाजपा नेताओं ने कहा कि:

  • “मुकदमे का भाजपा से कोई लेना-देना नहीं है। यह मामला कानूनी है और इसे अदालत पर छोड़ देना चाहिए।”
  • उन्होंने गहलोत सरकार पर राज्य में कानून-व्यवस्था के बिगड़ते हालात से ध्यान भटकाने का आरोप लगाया।

सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक दरगाह

अजमेर की दरगाह शरीफ सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं है, बल्कि यह देश के विभिन्न धर्मों और समुदायों के बीच एकता और भाईचारे का प्रतीक है।

  • यहां हर साल उर्स के मौके पर लाखों श्रद्धालु जुटते हैं।
  • दरगाह पर हिंदू, मुस्लिम, सिख और अन्य धर्मों के लोग एक साथ प्रार्थना करते हैं, जो इसे भारत की अनूठी सांस्कृतिक धरोहर बनाता है।

क्या है कोर्ट केस?

दरगाह पर हो रहे विवाद का मुख्य कारण यह है कि कुछ याचिकाकर्ताओं ने इसे लेकर ऐतिहासिक तथ्यों और धार्मिक विवादों पर सवाल उठाए हैं।

  • कोर्ट केस में दावा किया गया है कि दरगाह के मूल स्वरूप और धार्मिक पहचान को लेकर पुनर्विचार किया जाना चाहिए।
  • इस केस को लेकर स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर बहस छिड़ गई है।

निष्कर्ष

अजमेर की दरगाह शरीफ का मुद्दा सिर्फ एक धार्मिक विवाद नहीं, बल्कि भारत की साझी संस्कृति और एकता का सवाल है। अशोक गहलोत का बयान इस बात पर जोर देता है कि इस तरह के मुद्दों को राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। यह देखना अहम होगा कि अदालत इस विवाद को कैसे सुलझाती है और क्या इससे भारत के सांप्रदायिक सौहार्द पर कोई असर पड़ेगा।

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!
Leave A Reply

Your email address will not be published.