नई दिल्ली,17 दिसंबर। वन नेशन वन इलेक्शन’ के मुद्दे पर एनसीपी-एससीपी सांसद सुप्रिया सुले ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर और अधिक चर्चा की जरूरत है और जो भी निर्णय लिया जाए, वह सभी दलों से विचार-विमर्श के बाद होना चाहिए। सुप्रिया सुले ने कहा, “हमारी पार्टी की मांग संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की होगी ताकि सभी पहलुओं पर विस्तार से चर्चा हो सके।”
सुप्रिया सुले का यह बयान ऐसे समय आया है जब केंद्र सरकार ने ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ के विचार को आगे बढ़ाने के संकेत दिए हैं। सरकार का तर्क है कि इससे देश में लगातार होने वाले चुनावों पर खर्च कम होगा और प्रशासनिक कार्यों में तेजी आएगी। हालांकि, विपक्ष इस मुद्दे पर बंटा हुआ नजर आ रहा है।
एनसीपी-एससीपी सांसद सुले ने कहा कि इस तरह के बड़े बदलाव से पहले सभी राजनीतिक दलों, विशेषज्ञों और राज्यों से चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि “देश के लोकतंत्र में सभी को अपनी राय देने का अधिकार है और इतनी अहम योजना को जल्दबाजी में लागू नहीं किया जाना चाहिए।”
विपक्षी दलों की ओर से लगातार यह आरोप लगाया जा रहा है कि ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ संविधान के संघीय ढांचे को कमजोर करेगा और राज्यों की स्वायत्तता पर असर डालेगा। कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है और सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं।
गौरतलब है कि पिछले सप्ताह केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ के प्रस्ताव को लेकर चर्चा की थी, जिसमें लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने की बात कही गई थी। हालांकि, स्थानीय निकाय चुनावों पर अभी तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है।
सुप्रिया सुले के बयान से साफ है कि एनसीपी-एससीपी इस मुद्दे को गहराई से जांचने और परखने के लिए JPC की मांग को प्रमुखता से उठाएगी। उनका कहना है कि लोकतंत्र के हित में सभी पक्षों की राय लेना जरूरी है और किसी भी निर्णय में जल्दबाजी नहीं होनी चाहिए।
इस बीच, संसद के अंदर और बाहर ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। जहां सरकार इसे एक सुधारात्मक कदम बता रही है, वहीं विपक्ष इसे संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ करार दे रहा है। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर राजनीति और तेज होने की संभावना है।