चुनाव नियमों में केंद्र सरकार ने किए संशोधन: कांग्रेस और लेफ्ट का विरोध क्यों?

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,23 दिसंबर।
भारत सरकार ने हाल ही में चुनाव नियमों में कुछ महत्वपूर्ण संशोधन किए हैं, जिन्हें लेकर राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई है। कांग्रेस और वामपंथी दलों ने इन संशोधनों पर कड़ी आपत्ति जताई है और आरोप लगाया है कि ये कदम लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को कमजोर करने के लिए उठाए गए हैं।

संशोधनों के मुख्य बिंदु

  1. वोटर आईडी और आधार को जोड़ना
    केंद्र सरकार ने अब मतदाता पहचान पत्र (वोटर आईडी) को आधार कार्ड से जोड़ने को अनिवार्य बना दिया है। सरकार का कहना है कि इससे फर्जी वोटिंग और डुप्लीकेट मतदाता सूची की समस्या खत्म होगी।
  2. नामांकन प्रक्रिया में बदलाव
    नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया को डिजिटल किया गया है। अब उम्मीदवार ऑनलाइन आवेदन के जरिए अपने नामांकन दाखिल कर सकते हैं।
  3. पोस्टल बैलट में सुधार
    बुजुर्ग मतदाताओं और दिव्यांग व्यक्तियों के लिए पोस्टल बैलट की प्रक्रिया को सरल और तेज बनाने की घोषणा की गई है।
  4. पहचान पत्र सत्यापन अनिवार्य
    अब मतदाता सूची में शामिल होने के लिए पहचान पत्र का सत्यापन अनिवार्य कर दिया गया है।

कांग्रेस और लेफ्ट का विरोध

कांग्रेस और वाम दलों ने इन संशोधनों पर कई सवाल उठाए हैं। उनका तर्क है कि:

  • प्राइवेसी पर खतरा: वोटर आईडी को आधार से जोड़ने पर विपक्ष का कहना है कि यह मतदाताओं की गोपनीयता का उल्लंघन है।
  • सत्ताधारी पार्टी को फायदा: कांग्रेस ने आरोप लगाया कि यह कदम सत्ताधारी पार्टी को मतदाता डेटा तक सीधी पहुंच दिलाने का प्रयास है, जिसका दुरुपयोग हो सकता है।
  • ग्रामीण इलाकों में असुविधा: लेफ्ट पार्टियों का कहना है कि ग्रामीण और सुदूर क्षेत्रों में डिजिटल संसाधनों की कमी से ऑनलाइन प्रक्रिया गरीबों और अशिक्षित मतदाताओं के लिए बाधा बनेगी।
  • सामाजिक भेदभाव: आधार से लिंक करने के दौरान जाति और धर्म आधारित भेदभाव की आशंका व्यक्त की गई है।

सरकार की सफाई

सरकार ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि ये संशोधन चुनाव प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और डिजिटल युग के अनुकूल बनाने के लिए किए गए हैं।

  • फर्जी मतदान पर रोक लगेगी।
  • कमजोर वर्गों के लिए मतदान प्रक्रिया आसान होगी।
  • देशभर में एक समान मतदाता सूची सुनिश्चित की जाएगी।

विशेषज्ञों की राय

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम चुनाव सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण हो सकता है, लेकिन इसे लागू करने में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करना अनिवार्य होगा।

निष्कर्ष

चुनाव नियमों में संशोधन को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच मतभेद स्पष्ट हैं। जहां सरकार इसे सुधार की दिशा में बड़ा कदम बता रही है, वहीं विपक्ष इसे लोकतंत्र के लिए खतरा मान रहा है। आने वाले समय में इन संशोधनों का असर और जनता की प्रतिक्रिया यह तय करेगी कि यह फैसला कितना सफल और स्वीकार्य होगा।

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!
Leave A Reply

Your email address will not be published.