समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,23 जनवरी। तीर्थराज प्रयाग में महाकुंभ-2025 के पावन अवसर पर संगम तट स्थित महर्षि आश्रम, अरैल में आध्यात्मिक और वैदिक परंपराओं का दिव्य संगम देखने को मिला। यहां महर्षि महेश योगी जी के तपोनिष्ठ शिष्य ब्रह्मचारी गिरीश जी के मार्गदर्शन में समस्त विश्व कल्याण के लिए वैदिक पंडितों द्वारा रुद्राष्टाध्यायी के 1331 पाठ और हवन का आयोजन किया गया।
इस शुभ अवसर पर ब्रह्मचारी गिरीश जी ने अपने संदेश में कहा, “भावातीत ध्यान के नियमित अभ्यास से विचार शक्तिशाली बनते हैं, जो व्यक्ति को वांछित लक्ष्य की प्राप्ति में सहायता प्रदान करते हैं। आज के रुद्राष्टाध्यायी पाठ और हवन का मुख्य उद्देश्य यही है कि हर नागरिक के जीवन में सकारात्मक और प्रभावशाली विचारों का संचार हो।”
श्री शिव महापुराण कथा का शुभारंभ
महर्षि आश्रम में आज से शुरू हुई श्री शिव महापुराण कथामृत प्रवाह में सुप्रसिद्ध कथा व्यास आचार्य रामविलास चतुर्वेदी जी महाराज ने धर्म के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा, “हमारा धर्म आनंद प्रदान करने वाला है और इसका मुख्य उद्देश्य ब्रह्म प्राप्ति है। धर्म का पालन हमें काम, क्रोध, मद और लोभ से ऊपर उठने की शिक्षा देता है।” उन्होंने आगे कहा कि अधर्म का त्याग और धर्म का अनुसरण ही जीवन का सर्वोच्च मार्ग है।
चतुर्वेदी जी ने महर्षि महेश योगी जी की प्रशंसा करते हुए कहा, “महर्षि जी ने भारतीय संस्कृति और वेद धर्म की अद्वितीय विरासत को पूरे विश्व में स्थापित किया। उनके द्वारा प्रस्तुत वैश्विक चेतना का उदाहरण अनूठा है।”
शिव महापुराण कथा: कल्याण का मार्ग
कथा के दौरान आचार्य जी ने बताया कि शिव महापुराण के श्रवण मात्र से ही जीवन के कष्ट दूर होते हैं और शरीर के सात चक्रों का शुद्धिकरण होता है। ध्यानपूर्वक कथा श्रवण के दौरान हमारी इंद्रियां जागृत रहती हैं, जिससे सुनी गई बातें मस्तिष्क में संग्रहित होकर जीवन को सार्थक बनाती हैं।
यह पावन कथा प्रतिदिन दोपहर 2:30 बजे से शाम 5:30 बजे तक दिनांक 22 जनवरी 2025 तक चलेगी।
सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आकर्षण
सायंकालीन सत्र में महर्षि विद्या मंदिर विद्यालय, कालिंदीपुरम की छात्राओं द्वारा श्री राम, श्री शिव और श्री कृष्ण पर आधारित भजनों और नृत्य-नाटिकाओं की मनमोहक प्रस्तुतियों ने श्रद्धालुओं को आनंदित कर दिया। इन प्रस्तुतियों ने दर्शकों को भावविभोर कर दिया और भक्ति के रंग में सराबोर कर दिया।
समापन
महाकुंभ-2025 में महर्षि आश्रम द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम न केवल आध्यात्मिक जागरूकता का प्रतीक है, बल्कि यह दर्शाता है कि भारत की प्राचीन परंपराएं आज भी हमारे जीवन को समृद्ध और उद्देश्यपूर्ण बनाने में सक्षम हैं। ब्रह्मचारी गिरीश जी के निर्देशन में इस आयोजन ने यह संदेश दिया कि भावातीत ध्यान और वैदिक परंपराओं का अनुसरण हर व्यक्ति के जीवन को सफल और संतुलित बना सकता है।