आरएसएस सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने गुवाहाटी कार्यकर्ता समारोह में पञ्च परिवर्तन पर दिया बल

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,24 फरवरी।
गुवाहाटी में रविवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के गुवाहाटी महानगर द्वारा एक बौद्धिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम बरशापारा स्थित साउथ प्वाइंट स्कूल परिसर में संपन्न हुआ, जिसमें लगभग हजार दायित्वधारी कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। इस अवसर पर संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने समाज परिवर्तन के लिए पंच परिवर्तन को आवश्यक बताते हुए प्रेरणादायक संबोधन दिया।

समाज परिवर्तन के लिए पंच परिवर्तन का महत्व

डॉ. भागवत ने अपने बौद्धिक भाषण में समाज के उत्थान और विकास के लिए पांच महत्वपूर्ण परिवर्तनों पर विस्तार से चर्चा की। ये पांच परिवर्तन हैं:

  1. सामाजिक समरसता
  2. पारिवारिक मूल्यबोध
  3. पर्यावरण संरक्षण
  4. स्वदेशी का प्रोत्साहन
  5. नागरिक कर्तव्य का पालन

सामाजिक समरसता और हिंदू एकता पर बल

डॉ. भागवत ने समाज में जाति, मत, क्षेत्र और भाषा के भेदभाव से ऊपर उठकर मित्रता और एकता को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सभी हिंदू मंदिरों, जलाशयों और श्मशान भूमि को आपसी सम्मान और सहयोग के माध्यम से एकजुट किया जाना चाहिए, जिससे समाज में समरसता बनी रहे।

पारिवारिक मूल्यबोध और भारतीय संस्कृति

उन्होंने भारतीय पारिवारिक मूल्यों को संरक्षित और सुदृढ़ करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि यदि परिवार में भारतीय संस्कृति और परंपराओं को मजबूत किया जाए, तो समाज सही दिशा में अग्रसर होगा।

पर्यावरण संरक्षण में समाज की भूमिका

डॉ. भागवत ने पर्यावरण संरक्षण को सामूहिक जिम्मेदारी बताते हुए जल संरक्षण, प्लास्टिक के कम उपयोग और वृक्षारोपण जैसी गतिविधियों को प्रोत्साहित करने की बात कही। उन्होंने यह भी कहा कि पर्यावरण की रक्षा करना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है और इसके लिए व्यक्तिगत एवं सामाजिक स्तर पर प्रयास किए जाने चाहिए

स्वदेशी अपनाने का आह्वान

संघ प्रमुख ने स्वदेशी उत्पादों के उपयोग पर जोर देते हुए भारतीय परंपराओं और संसाधनों को बढ़ावा देने की अपील की। उन्होंने कहा कि हर भारतीय परिवार को अपनी भाषा, वस्त्र, भोजन, आवास और यात्राओं में स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग करना चाहिए। उन्होंने विशेष रूप से विदेशी भाषाओं के अत्यधिक उपयोग पर चिंता जताते हुए अपनी मातृभाषा में संवाद करने का आग्रह किया।

नागरिक कर्तव्यों का पालन आवश्यक

अपने संबोधन में डॉ. भागवत ने कानूनी और नैतिक दायित्वों को निभाने की अनिवार्यता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि हमें न केवल सरकारी नियमों और कानूनों का पालन करना चाहिए, बल्कि पारंपरिक सामाजिक नैतिकता को भी बनाए रखना चाहिए, ताकि समाज में शांति और व्यवस्था बनी रहे।

कार्यक्रम में प्रमुख पदाधिकारियों की उपस्थिति

इस बौद्धिक कार्यक्रम में उत्तर असम प्रांत के संघचालक डॉ. भूपेश शर्मा, गुवाहाटी महानगर के संघचालक गुरु प्रसाद मेधी सहित हजारों संघ कार्यकर्ता उपस्थित थे।

निष्कर्ष

डॉ. मोहन भागवत द्वारा गुवाहाटी में दिए गए इस प्रेरक भाषण ने समाज परिवर्तन और हिंदू एकता को मजबूत करने के लिए पंच परिवर्तन की अवधारणा को और अधिक सशक्त किया। संघ प्रमुख का यह संदेश न केवल गुवाहाटी बल्कि संपूर्ण समाज के लिए प्रेरणादायक है, जिससे सामाजिक समरसता, पर्यावरण सुरक्षा, स्वदेशी को प्रोत्साहन और नागरिक कर्तव्यों के पालन की भावना को बढ़ावा मिलेगा

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