सीरिया में हिंसा: 1000 से अधिक मौतों के बाद फैल रही असुरक्षा और बर्बादी

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,9 मार्च।
सीरिया में गुरुवार को हुई हिंसक संघर्षों में 1000 से अधिक लोग मारे गए, जिनमें अधिकांश नागरिक थे और कई अन्य सरकारी सुरक्षा बलों के सदस्य और असद से जुड़े सशस्त्र समूहों के उग्रवादी भी शामिल थे, जो सीरिया के शाही और विभाजित समाज में एक नई लहर की ओर इशारा करते हैं। संघर्षों की शुरुआत उस समय हुई जब वर्तमान सरकार के पक्ष में गोलियां चलाने वाले बंदूकधारियों ने पूर्व राष्ट्रपति बशर अल-असद के समर्थकों और अलावित अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ बदले की भावना से हिंसा का सिलसिला शुरू किया। यह स्थिति न केवल सीरिया की राजनीति और समाज को तहस-नहस कर रही है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इसने चिंता का कारण बना दिया है।

सीरिया में कई दशकों से असद शासन का दबदबा रहा है और इस शासन के दौरान अलावित समुदाय को विशेष महत्व प्राप्त था, क्योंकि उन्हें सेना और अन्य उच्च पदों पर प्रमुख स्थान मिला था। अलावित समुदाय, जो इस्लाम के एक विशिष्ट शाखा के अनुयायी हैं, असद के शासन के दौरान राजनीतिक और सैन्य रूप से शक्तिशाली बने रहे थे, लेकिन अब जब शासन में बदलाव की स्थिति उत्पन्न हुई है, तो इस समुदाय को लगातार निशाना बनाया जा रहा है। तीन महीने पहले शुरू हुए नए शासन के दौरान, कई बार यह देखा गया कि अलावित समुदाय के लोगों को उनके पूर्व राष्ट्रपति के साथ उनके संबंधों के कारण भेदभाव और हिंसा का शिकार होना पड़ा है।

सीरियाई मानवाधिकार वेधशाला, जो ब्रिटेन स्थित एक स्वतंत्र संगठन है, ने इस संघर्ष के बारे में जानकारी दी कि 745 नागरिकों की मौत हुई, जिनमें से अधिकांश को नजदीकी दूरी से गोलियों से मारा गया था। इसके अलावा, 125 सरकारी सुरक्षा बलों के सदस्य और असद से जुड़े सशस्त्र समूहों के 148 उग्रवादी भी मारे गए हैं। यह आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं कि संघर्ष ने न केवल सेना और सरकार के पक्षधरों के बीच बल्कि सामान्य नागरिकों के बीच भी भीषण रक्तपात उत्पन्न किया है।

हिंसा के परिणामस्वरूप, सीरिया के कई अलावित बहुल क्षेत्रों में बिजली और पीने का पानी भी काट दिया गया है, जिससे स्थिति और भी खराब हो गई है। कई गांवों से खबरें आई हैं कि वहां के लोग अपने घरों को छोड़कर भाग रहे हैं, क्योंकि उनके घरों को लूटा गया और फिर आग के हवाले कर दिया गया। हिंसा के बाद, इन क्षेत्रों में जिंदगियां और संपत्ति दोनों ही पूरी तरह से नष्ट हो गई हैं। इन घटनाओं ने सीरिया के लोगों के बीच असुरक्षा और भय का माहौल पैदा कर दिया है।

लेबनान के राजनेता हैदर नासिर, जो अपने देश की संसद में अलावित समुदाय के लिए निर्धारित दो सीटों में से एक पर बैठते हैं, ने बताया कि लोग अपनी सुरक्षा के लिए सीरिया से लेबनान भाग रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सीमा पार करने वाले अलावित नागरिकों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जो हिंसा और असुरक्षा से बचने के लिए अपने घरों को छोड़ने पर मजबूर हो रहे हैं।

गवाहों ने एसोसिएटेड प्रेस को बताया कि महिलाओं को कथित तौर पर निर्वस्त्र करके सड़कों पर घुमाया गया और फिर गोली मारकर हत्या कर दी गई, जिससे इस हिंसा को और भड़कावा मिला। इस प्रकार की घटनाएं न केवल भयावह हैं, बल्कि सामाजिक और मानवीय दृष्टिकोण से भी अत्यंत निंदनीय हैं। बानियास शहर, जो संघर्ष से सबसे अधिक प्रभावित हुआ है, की स्थिति बेहद गंभीर हो गई है। वहां की सड़कों पर शव पड़े हुए थे और इमारतों की छतों पर भी लाशें देखी गईं। यह दृश्य न केवल मानवता को शर्मसार करता है, बल्कि एक ऐसे समाज का चित्रण भी करता है जो भीतर से टूट चुका है।

बंदूकधारियों ने नागरिकों को शवों को दफनाने से रोक रखा था, जिससे मृतकों के परिवारों को अंतिम संस्कार के लिए भी संघर्ष करना पड़ा। यह एक ऐसी स्थिति है जहां न केवल शारीरिक हिंसा हो रही है, बल्कि मानसिक और भावनात्मक उत्पीड़न भी लोगों पर हो रहा है। मृतकों के परिजन और लोग न केवल अपने प्रियजनों को खो रहे हैं, बल्कि उनके अंतिम संस्कार का अधिकार भी उनसे छिन लिया जा रहा है।

सीरिया में इन हिंसक संघर्षों के कारण जो असुरक्षा का माहौल बन चुका है, उसने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी चिंता में डाल दिया है। सीरिया की स्थिति को लेकर संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने चिंता जताई है और इसके समाधान के लिए विभिन्न पहल की हैं, लेकिन अभी तक कोई ठोस समाधान सामने नहीं आया है। इस संकट का समाधान तभी संभव होगा जब सीरिया में राजनीतिक और सामाजिक समरसता को फिर से बहाल किया जाएगा। इसके लिए जरूरी है कि सभी समुदायों को समान अधिकार मिले और हिंसा के हर रूप की निंदा की जाए।

अंतरराष्ट्रीय समुदाय को सीरिया में हो रही हिंसा को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। मानवाधिकार उल्लंघन और सामूहिक हत्या की घटनाएं किसी भी समाज के लिए बहुत ही दुखद हैं, और इनसे निपटने के लिए एक सशक्त और समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है। यदि हिंसा का यह सिलसिला जारी रहता है, तो यह केवल सीरिया के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक बड़े संकट का कारण बनेगा।

निष्कर्षतः, सीरिया में गुरुवार को हुई हिंसा न केवल एक संघर्ष का परिणाम है, बल्कि यह एक विभाजित समाज की कड़ी तस्वीर पेश करती है, जहां धर्म, जाति और राजनीति के नाम पर हिंसा फैलाई जा रही है। इस संकट का समाधान तभी संभव है जब सीरिया के लोग एकजुट होकर शांति और सहनशीलता की ओर कदम बढ़ाएंगे, और अंतरराष्ट्रीय समुदाय अपनी भूमिका निभाएगा।

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