बांग्लादेश आम चुनाव की ओर: सुधार, विवाद और अनिश्चितता

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समग्र समाचार सेवा
ढाका,26 मार्च।
बीते कुछ वर्षों में राजनीतिक उथल-पुथल से गुजरने वाला बांग्लादेश अब 2025 के अंत तक संभावित आम चुनावों की ओर बढ़ता दिख रहा है। हालांकि, यह बदलाव राजनीतिक चर्चाओं और सुधारों पर निर्भर करेगा, क्योंकि एक विभाजित राजनीतिक परिदृश्य देश के भविष्य को अस्थिरता की ओर धकेल सकता है।

2024 के मध्य में देशव्यापी छात्र आंदोलन के चलते प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता से बेदखल कर दिया गया था। इसके बाद, नोबेल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में एक अंतरिम सरकार बनी, जिसने शासन सुधारों को प्राथमिकता दी। 7 जनवरी 2024 को हुए 12वें संसदीय चुनाव में शेख हसीना की आवामी लीग ने एकतरफा जीत दर्ज की थी, लेकिन जल्द ही विपक्षी दलों ने चुनाव प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए देशभर में विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए। इसी व्यापक आंदोलन के कारण हसीना सरकार को हटाकर अंतरिम सरकार का गठन किया गया।

सत्ता संभालने के बाद से ही प्रो. यूनुस ने नागरिक प्रशासन, न्यायपालिका, भ्रष्टाचार निरोधी एजेंसियों, वित्तीय संस्थानों और चुनावी प्रक्रिया में व्यापक सुधारों की वकालत की है। हाल ही में दिए एक बयान में उन्होंने कहा कि उनकी प्राथमिकता लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को सुचारू रूप से आगे बढ़ाने की रहेगी।

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार दिसंबर 2025 में चुनाव कराने की तैयारियों में जुटी है। यूनुस के नेतृत्व में प्रशासनिक ढांचे में बदलाव की प्रक्रिया भी तेज हो गई है, ताकि प्रमुख राजनीतिक दलों के बीच संवाद का माहौल बनाया जा सके।

हालांकि, शांतिपूर्ण और निष्पक्ष चुनाव कराना आसान नहीं होगा। इस संदर्भ में राष्ट्रीय सहमति आयोग (National Consensus Commission) की भूमिका अहम मानी जा रही है। यह आयोग सरकार और राजनीतिक दलों के बीच संवाद स्थापित करने के लिए बनाया गया है और अब तक बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP), बांग्लादेश जमात-ए-इस्लामी और नवगठित नेशनल सिटिजन पार्टी (NCP) समेत 20 से अधिक दलों के साथ बातचीत कर चुका है। विपक्षी दल वर्तमान चुनावी प्रणाली में बदलाव की मांग कर रहे हैं और इसे लेकर आयोग को अपने सुझाव भी दे चुके हैं। आने वाले हफ्तों में आयोग अन्य राजनीतिक दलों से भी बातचीत करेगा ताकि चुनावी सुधारों पर आम सहमति बनाई जा सके।

हाल ही में आयोग ने संविधान, लोक प्रशासन, चुनाव प्रणाली, न्यायिक सुधार और प्रशासनिक बदलाव से जुड़े सुधार प्रस्ताव 35 से अधिक राजनीतिक दलों को सौंपे हैं। हालांकि, एक बड़ा सवाल अब भी बना हुआ है—क्या आवामी लीग को अगले चुनाव में भाग लेने दिया जाएगा?

अब तक तीन कार्यकालों तक सत्ता में रही आवामी लीग को लेकर कोई ठोस निर्णय नहीं हुआ है। लेकिन, प्रो. यूनुस ने हाल ही में कहा कि अंतरिम सरकार आवामी लीग को चुनाव से बाहर करने की कोई योजना नहीं बना रही है। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि हसीना और अन्य पार्टी नेताओं, जिन पर भ्रष्टाचार और अन्य अपराधों के आरोप हैं, को कानून का सामना करना पड़ेगा

इस रुख पर जबरदस्त विवाद खड़ा हो गया है। विरोधी दलों का आरोप है कि यूनुस आवामी लीग को एक नए नाम से पुनर्जीवित करने की योजना बना रहे हैं, जिसे कुछ आलोचक “रिफाइंड आवामी लीग” कह रहे हैं। इसके अलावा, यह भी आरोप लगाया जा रहा है कि बांग्लादेश के सैन्य प्रमुख वाकर उज़ ज़मान इस योजना को गुप्त रूप से आगे बढ़ाने में भूमिका निभा रहे हैं, ताकि भारत में निर्वासित हसीना की वापसी का रास्ता साफ किया जा सके

इन आरोपों के बाद विवाद और गहरा गया है। NCP प्रमुख नाहिद इस्लाम ने आवामी लीग पर आजीवन प्रतिबंध लगाने की मांग की है। उन्होंने आवामी लीग को “फासीवादी पार्टी” करार देते हुए चेतावनी दी कि अगर उसे फिर से राजनीतिक मुख्यधारा में लाने की कोशिश हुई तो देशभर में जबरदस्त विरोध प्रदर्शन होंगे। इसी तरह, जमात-ए-इस्लामी नेता शफीकुर रहमान ने भी कहा कि जनता कभी भी हसीना की पार्टी को फिर से स्वीकार नहीं करेगी।

हालांकि, इन विवादों के बावजूद बांग्लादेश की सेना ने राजनीति में किसी भी तरह की दखलअंदाजी से इनकार कर दिया है। सेना ने स्पष्ट कर दिया है कि वह किसी भी राजनीतिक दल का समर्थन नहीं करेगी और देश के लोकतांत्रिक भविष्य में हस्तक्षेप से दूर रहेगी।

बांग्लादेश में उथल-पुथल के बीच, प्रो. यूनुस अब विदेश नीति पर भी ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।

अप्रैल 2-4, 2025 को होने वाले बिम्सटेक (BIMSTEC) शिखर सम्मेलन के दौरान प्रो. यूनुस और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बैठक संभावित मानी जा रही है। इस दौरान व्यापार और क्षेत्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दों पर चर्चा हो सकती है। हालांकि, विश्लेषकों का मानना है कि शेख हसीना के भारत में निर्वासन के चलते भारत-बांग्लादेश संबंधों में तनाव बना हुआ है, जिससे यह बैठक प्रभावित हो सकती है।

भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पुष्टि की है कि बैठक की योजना बनाई जा रही है, लेकिन बांग्लादेश की राजनीतिक अनिश्चितता के चलते अभी कुछ भी स्पष्ट नहीं है।

बांग्लादेश में मौजूदा राजनीतिक माहौल बेहद ध्रुवीकृत (Polarized) हो गया है। आने वाले महीनों में यह देखना होगा कि क्या देश शांतिपूर्ण तरीके से एक नए लोकतांत्रिक शासन की ओर बढ़ता है या फिर आंतरिक कलह और राजनीतिक असहमति से सुधार प्रक्रिया पटरी से उतर जाती है।

2025 के अंत में संभावित आम चुनाव बांग्लादेश के राजनीतिक इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक होने जा रहे हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या सुधारों के जरिए देश एक स्थिर लोकतंत्र की ओर बढ़ता है या फिर यह संघर्ष और विवादों में उलझा रह जाता है।

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