पटना। बिहार की सियासत एक बार फिर गरमा गई है। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता चिराग पासवान इन दिनों जिस अंदाज़ में बयानबाज़ी कर रहे हैं, उससे साफ हो गया है कि उनकी निगाहें केवल सत्ता पर नहीं, बल्कि एक खास सियासी चेहरा उनके निशाने पर है – और वो हैं नीतीश कुमार। लेकिन सवाल ये उठ रहा है – क्या वाकई निशाना सिर्फ नीतीश हैं, या पर्दे के पीछे कोई और भी है चिराग के प्लान में?
चिराग पासवान भले ही अभी खुलकर सब कुछ न कह रहे हों, लेकिन उनके हालिया बयान बिहार की राजनीति में तूफान खड़ा कर रहे हैं। उन्होंने जहां एक तरफ ‘जनता के साथ विश्वासघात’ जैसे जुमले उछाले हैं, वहीं दूसरी ओर अपने गठबंधन को लेकर रहस्य बनाए रखा है।
सूत्रों की मानें तो चिराग ना सिर्फ नीतीश कुमार की सरकार पर हमला बोल रहे हैं, बल्कि अंदर ही अंदर भाजपा के भीतर भी अपनी पकड़ मजबूत करने की कवायद में जुटे हैं। ऐसे में सवाल उठता है – क्या उनका असली टारगेट नीतीश हैं, या फिर वो भाजपा के भीतर ही कोई ‘स्पेस’ तलाश रहे हैं?
चिराग पासवान खुद को “बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट” के पोस्टर बॉय के रूप में पेश कर रहे हैं। लेकिन क्या ये सब जनता की भलाई के लिए है या कोई बड़ी सियासी चाल है? जानकारों का मानना है कि चिराग पासवान की राजनीति अब एक अलग मोड़ पर पहुंच चुकी है – जहां वो सिर्फ विरोध नहीं, विकल्प बनने की तैयारी कर रहे हैं।
इस प्लान का पहला शिकार नीतीश कुमार हैं – जिन्होंने राजनीति के हर रंग देखे हैं, लेकिन अब शायद नए दौर की राजनीति का सामना कर रहे हैं।
चिराग का फोकस युवा वोटर पर है। वे नई पीढ़ी को साधना चाहते हैं, जो बदलाव की भूखी है। वहीं जातीय समीकरणों में भी पासवान समुदाय के वोटरों को अपने साथ बनाए रखना उनकी रणनीति का हिस्सा है।
और सबसे बड़ी बात – मोदी फैक्टर। चिराग बार-बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते नहीं थकते। क्या ये संकेत है कि वे BJP के साथ किसी बड़े गठबंधन का सपना देख रहे हैं? या फिर मोदी को आगे रखकर खुद को ‘नीतीश विरोधी’ चेहरे के रूप में प्रोजेक्ट कर रहे हैं?
अगर चिराग पासवान अपने ‘बिहार प्लान’ को पूरी तरह लागू करते हैं, तो 2025 के चुनाव से पहले बिहार की राजनीति में एक बड़ा धमाका तय है। जहां नीतीश कुमार एक बार फिर चुनौती के घेरे में होंगे, वहीं राजद और कांग्रेस के लिए भी खतरे की घंटी बज चुकी है।
चिराग पासवान की चालें जितनी मासूम दिखती हैं, उतनी ही खतरनाक भी हो सकती हैं। नीतीश कुमार अगर उनके निशाने पर हैं, तो ये लड़ाई सिर्फ दो नेताओं की नहीं – पूरे बिहार के सियासी नक्शे के बदलने की शुरुआत हो सकती है। अगला कदम क्या होगा? यह देखने के लिए बिहार की जनता और राजनीतिक गलियारों की निगाहें अब सिर्फ एक नाम पर टिकी हैं – चिराग पासवान।
क्या आप मानते हैं कि चिराग नीतीश के सबसे बड़े चुनौती बन सकते हैं? बताइए, आपकी क्या राय है?