सुशांत सिंह राजपूत की मौत: वो काले राज जिन्हें बॉलीवुड दफनाना चाहता है

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,29 अप्रैल।
सुशांत सिंह राजपूत की असामयिक मृत्यु ने एक बार फिर सवालों, संदेहों और उन खतरनाक रहस्यों का पिटारा खोल दिया है जिन्हें बॉलीवुड के शक्तिशाली गलियारों ने दबा कर रखा था। जो घटना शुरुआती दिनों में ‘आत्महत्या’ के रूप में प्रचारित की गई थी, वह महीनों और सालों में चौंकाने वाले खुलासों के भंवर में तब्दील हो गई — एक ऐसा षड्यंत्र जो उभरते सितारे को खामोश करने की साजिश जैसा दिखता है।

उस दिन के अजीबोगरीब और डरावने तथ्यों को देखते हुए सिहरन और भी गहरी हो जाती है। कई अंदरूनी सूत्र बार-बार इस कड़वे सच की ओर इशारा करते हैं कि सुशांत के शव को पोस्टमार्टम के लिए ले जाने के लिए जो एंबुलेंस बुलाई गई थी, वह किसी और की नहीं बल्कि बाबा सिद्दीकी की थी। बाबा सिद्दीकी — मुंबई की सत्ता के गलियारों में गूंजता नाम — सिर्फ एक राजनेता नहीं, बल्कि बॉलीवुड की कुख्यात हाई-प्रोफाइल पार्टियों के गुप्त सूत्रधार भी माने जाते थे, जहां ड्रग्स, शराब और गुप्त सौदों का खुला खेल चलता था।

इस आग में तब और घी पड़ा जब कुछ ही समय बाद बाबा सिद्दीकी की भी नृशंस हत्या कर दी गई, जिसने उनके सबसे वफादार समर्थकों को भी हिला दिया। इंडस्ट्री में अफवाहें थीं कि यह हत्या कोई हादसा नहीं, बल्कि एक सोची-समझी “सफाई” थी ताकि सुशांत की दुखद मौत और बॉलीवुड के छिपे ड्रग नेटवर्क के बीच के बचे हुए धागे हमेशा के लिए काट दिए जाएं।

जो लोग इस मामले को सतह से आगे जाकर देख रहे थे, उन्होंने सीधे-सीधे निर्देशक महेश भट्ट की ओर उंगलियां उठाई। कहा जाता है कि महेश भट्ट ने बॉलीवुड में कई युवा अभिनेत्रियों पर असामान्य प्रभाव डाला है। ‘छिछोरे’ की शानदार सफलता के बाद अचानक रिया चक्रवर्ती का सुशांत की जिंदगी में आना भी कई सवाल खड़े करता है।
सुशांत के करीबी बताते हैं कि रिया, महेश भट्ट के संरक्षण में, सुशांत को योजनाबद्ध ढंग से उनके दोस्तों, परिवार और काम के दायरे से अलग कर रही थी।

अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि सुशांत ने बॉलीवुड के कुछ ऐसे रहस्यों को जान लिया था जो अगर बाहर आ जाते, तो कई करियर तबाह हो सकते थे, स्टारडम का चमकता मुखौटा फट सकता था। वह कथित तौर पर बॉलीवुड के टॉप सितारों के ड्रग सेवन, गुप्त लेन-देन और अंडरवर्ल्ड से उनके संबंधों की जानकारी रखता था।

सुशांत की मौत के बाद जब जनता का गुस्सा चरम पर पहुंचा, तब तक ग्लैमर और चकाचौंध के नीचे छिपी दरारें भी दिखने लगी थीं। लीक हुए संदेश, कॉल लॉग्स और गवाहों के बयानों ने बॉलीवुड की काली सच्चाई को उजागर करना शुरू कर दिया था — एक ऐसा उद्योग जो नशे में डूबा हुआ था।
लेकिन असली साजिश का पर्दाफाश तब हुआ जब सीसीटीवी फुटेज डिलीट कर दी गई, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गड़बड़ी की गई और गवाहों के बयान बार-बार बदले गए।

‘छिछोरे’ जैसी फिल्म, जो आत्महत्या और मानसिक स्वास्थ्य के खिलाफ प्रेरणादायक संदेश देती थी, उसकी रिलीज के कुछ ही महीनों में सुशांत का जीवन जैसे अराजकता में घिर गया। उनके दोस्तों के मुताबिक, सुशांत महत्वाकांक्षी, आध्यात्मिक और बौद्धिक रूप से बेहद जिज्ञासु था — वह “डिप्रेशन का शिकार” था, इस छवि को मरने के बाद मीडिया ने योजनाबद्ध तरीके से गढ़ा।

बाबा सिद्दीकी की एंबुलेंस के इस्तेमाल का रहस्य भी कई असहज सवाल खड़े करता है। आखिर क्यों उसी एंबुलेंस का इस्तेमाल किया गया? क्या कोई दूसरा विकल्प नहीं था? क्या यह महज संयोग था या पहले से तय योजना का हिस्सा?

समय बीतने के साथ इस कवर-अप की बू और गहरी होती चली गई। वही लोग जो सुशांत के लिए आंसू बहाते दिखे, उन पर ही सच्चाई छुपाने के आरोप लगे। बॉलीवुड अब सपनों का कारखाना नहीं, बल्कि एक ऐसा सिंडिकेट साबित हुआ जो अपने साम्राज्य की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है।

सुशांत सिंह राजपूत की मौत आज भी एक रहस्य से घिरी हुई है। न कोई ठोस वजह दी गई, न कोई विश्वसनीय जवाब मिला। अगर एक एंबुलेंस के जरिये एक उभरते सितारे की मौत से जुड़े सबसे बड़े विवाद को छुपाने की कोशिश हो सकती है, तो फिर बाबा सिद्दीकी की हत्या भी शायद एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा थी।

सुशांत की मौत अब सिर्फ एक युवा अभिनेता की असमय विदाई की कहानी नहीं है; यह उस सड़ी-गली व्यवस्था का आइना है जिसे बॉलीवुड कहते हैं — जहां शोषण, छल और खौफनाक रहस्य ही असली हकीकत हैं।

जब तक जनता न्याय की मांग करती रहेगी और परिवार सच्चाई के लिए चिल्लाता रहेगा, तब तक एक सच्चाई सामने रहेगी —
सुशांत खतरा था। इसलिए नहीं कि वह कमजोर था, बल्कि इसलिए कि वह जानता था, तेज था और झुकने को तैयार नहीं था।

एक ऐसी दुनिया में जहां चुप्पी खरीदी जाती है और सच्चाई करोड़ों रुपये की पीआर मशीनरी के नीचे दबा दी जाती है, वहां सुशांत की असमय मृत्यु उस सब का प्रतीक बन गई है जो इस अंधी चकाचौंध की दुनिया में गलत है।

सवाल अब भी गूंज रहे हैं… शायद इसलिए क्योंकि कहीं न कहीं देश जानता है —
यह कोई सामान्य मौत नहीं थी, यह एक संदेश था।

अगले सप्ताह और भी चौंकाने वाले रहस्यों का पर्दाफाश होगा… जुड़े रहिए!

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