नई दिल्ली: आरएसएस के तीन दिवसीय कार्यक्रम के पहले दिन मोहन भागवत का कांग्रेस को लेकर बयान ये साबित करता है की उनका कांग्रेस पार्टी को लेकर रवैया काफी सकारात्मक है। भागवत ने ये साबित किया की वो संघ की विचारधारा, जो कि सबको एक साथ लेकर चलने की है को मानते हैं। भागवत ने कार्यक्रम में कांग्रेस पार्टी की तारीफ करते हुए कहा था कि कांग्रेस की बदौलत देश में स्वतंत्रता के लिए एक आंदोलन खड़ा हुआ। उस वक्त कांग्रेस से जुड़कर देश की आजादी में योगदान देने वाले त्यागी महापुरूषों की प्रेरणा आज भी लोगों के जीवन को प्रेरित करती है।
इस बयान ने ये साफ कर दिया की राहुल गांधी के उलट आरएसएस भारत को तरक्की की राह में ले जाने को अग्रसर है। यूँ कहें तो कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को आरएसएस से काफी कुछ सीखने की जुरुरत है। राहुल गांधी जो सिर्फ राजनीतिक फायदे के लिए आरएसएस को निशाना बनाते हैं को आरएसएस से काफी कुछ सीखना है।
आपको याद होगा की राहुल गांधी ने किस तरह यूरोप जाकर आरएसएस की तुलना मुसलिम ब्रदरहुड जैसे आतंकी संगठन से की। किस तरह से बीजेपी को घेरने के लिए उन्होने विदेशों में भारत की साख को दांव में लगा दिया। आरएसएस को राहुल ने आतंकी संगठन बताकर अपनी संर्कीण मानसिकता को ही सामने रखा।
इसी के चलते दूरदर्शन के वरिष्ठ पत्रकार अशोक श्रीवास्तव ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को आरएसएस से सीखने को कहा। उन्होने कहा राहुल गांधी ने राजनीतिक लाभ लेने के लिए आरएसएस को आतंकी संगठन कहा, लेकिन सर संघचालक मोहन भागवत ने स्वतंत्रता संग्राम में कांग्रेस की भूमिका को जमकर सराहा और कहा हम सर्वयुक्त भारत चाहते हैं, मुक्त नहीं।
संघ के इस कार्यक्रम जो की भविष्य का भारत नाम से रखा गया है हमें ये सोचने पर मजबूर करता है की हम किस तरह का भारत देखना चाहते हैं। जहां दूसरे विचारों को जगह मिलती हो य जहां दूसरों की आवाजों को दबाया जाता हो? जहां हमारा समाज सबको एक साथ लेकर चले य जहां सिर्फ हमने सब कुछ किया वाली प्रवृति हो?
इसी को लेकर अशोक श्रीवास्तव ने एक ऐसी बात कह दी जो उनको बड़ी चुभी होगी जो देश की तरक्की को लेकर अपने आप को उसका ठेकेदार समझ बैठे हैं। उन्होने कहा – प्यार की बात करने वाले आरएसएस को आतंकी बताने वाले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को संघ से प्रेम सीखना चाहिए, इसके आलावा सहिष्णुता का झूठा दावा करने वाले लोग भी संघ से सीखें।
संघ प्रमुख ने करीब डेढ घंटे के संबोधन में यह साफ किया कि उनका संगठन अपना प्रभुत्व नहीं चाहता। ये बात हमें भी समझनी होगी की संघ के नाम पर दुष्प्रचार फैला रहे लोग कहीं देश को बांटने का काम तो नही कर रहे। कहीं अपनी राजनीतिक रोटियों सेखने पर मजबूर नेता या पार्टी देश में माहौल बिगाड़ने का काम तो नही कर रही।