कुशवाहा की उपेक्षा से बिहार में एनडीए टूट की ओर / अनामी शरण बबल
बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की एकता पर संकट गहराता जा रहा है। आम चुनाव के लिए टिकट के वितरण में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक समता पार्टी (रालोसपा) की उपेक्षा से केंद्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा आहत हैं। जेडीयू सरकार द्वारा रालोसपा के दो विधायकों को जेडीयू में समाहित कर लेने के बाद कुशवाहा के लिए एनडीए का रास्ता संकीर्ण होता दिख रहा है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह द्वारा कुशवाहा से मिलने की हर कोशिश नाकाम रही है। अमित शाह की अनिच्छा को देखते हुए अब उपेन्द्र भी अपने लिए नये रास्ते की तलाश में जुट गये हैं। पिछले 48 घंटों के दौरान लोजपा के रामविलास पासवान शरद यादव और राजग के तेजस्वी यादव से मुलाकात करके उपेन्द्र महागठबंधन में अपने लिए उचित जगह पर गौर कर रहे हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और अमित शाह के नकारात्मक रवैये से उपेन्द्र के लिए एनडीए का कपाट भी बंद हो सकता है। उल्लेखनीय है कि इसबार लोकसभा चुनाव से पहले बिहार में भाजपा (RlSp) को साथ-साथ लेकर चलने को इच्छुक नहीं हैं। करीब दो माह तक टिकट वितरण को लेकर असमंजस की स्थिति रही और जब टिकट फाईनल हुआ तो कुशवाहा को पहले एक और बाद में दो सीट थमाकर शांत किया गया। मगर और सीट की चाहत में अपने समर्थकों के साथ पटना में जनाक्रोश रैली निकाली। जिसपर पुलिस ने लाठीचार्ज कर के दर्जनों कार्यकर्ताओं को घायल कर दिया गया। इसके विरोध में कुशवाहा ने एनडीए और जेडीयू पर उपेक्षा का आरोप लगा दिया। कुशवाहा को आरोप लगाये एक दिन भी नहीं बीता कि रालोसपा के दो विधायक जेडीयू में शामिल हो गये। अपनी पार्टी की लुटिया डूबते देख कुशवाहा ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मिलने की कोशिश की मगर पिछले दो-तीन दिन के भीतर शाह-कुशवाहा की मुलाकात नहीं हो सकी। लगातार अपनी खराब हालात को देखते हुए कुशवाहा राजद के तेजस्वी यादव लोजपा के रामविलास पासवान से मुलाकात की। हालांकि उपेन्द्र कुशवाहा अभी भी एनडीए के साथ-साथ रहने की चर्चा कर रहे हैं। इसके बावजूद शरद यादव से मुलाकात करके उपेन्द्र कुशवाहा ने अपने लिए नया रास्ता नये साथी और नयी मंजिल को नयी योजना और उम्मीदों के साथ तलाश लिया है। मगर देखना है कि वे अपनी मर्जी से अपने मंत्रालय के साथ-साथ एनडीए से बाहर निकलते हैं अथवा प्रधानमंत्री की मुलाकात के बाद तमाम संभावनाओं के रास्ते ठप्प हो जाएंगे। यानी कुशवाहा को लेकर एनडीए की दिलचस्पी समाप्त हो गयी है।