निरंजनी अखाड़े की कुंभ संपन्न होने की घोषणा पर वैष्णव अखाड़ें आग बबूला: माफ़ी मांगे नहीं तो संबंध विच्छेद करने की दी धमकी
समग्र समाचार सेवा
हरिद्वार,16 अप्रैल।
निरंजनी अखाड़े की 17 अप्रैल को कुंभ संपन्न किए जाने की घोषणा पर वैष्णव अखाड़े आग बबूला हो गए हैं और उन्होंने इस फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए माफ़ी की मांग की है।
तीनों वैष्णव अनी अखाड़ों के श्रीमहंतों ने साफ़ शब्दों में कहा है की अगर माफ़ी नहीं मांगी गयी तो अखाड़ा परिषद से संबंध विच्छेद करने के अलावा और कोई चारा नहीं है।
अखिल भारतीय श्रीपंच दिगंबर अनी अखाड़े के श्रीमहंत कृष्णदास महाराज ने कहा कि कुंभ संपन्न की घोषणा करना सनातन धर्म के अपमान के सामान है । उन्होंने यह भी आरोप लगाया की कुंभ की आरम्भ से वैष्णव अखाड़ों के साथ सौतेला व्यवहार होता रहा है और उन्हें अनेक प्रकार से परेशान किया जा रहा है।
यहां तक उनके अखाड़ों के शिविर ना लगे इसका भी प्रयत्न किया गया है ।
अखिल भारतीय श्रीपंच निर्वाणी अनी अखाड़े के बैरागी कैंप स्थित शिविर में पत्रकारों से रूबरू होते हुए श्रीमहंत धर्मदास महाराज ने कहा कि कुंभ मेला समाप्त करने का अधिकार निरन्नी अखाड़े को नहीं बल्कि केवल मुख्यमंत्री, मेला प्रशासन या अखाड़ा परिषद को है निरंजनी और आन्नद अखाड़े के संतों ने कुंभ सम्पन्न की बात कहकर पाप किया है।
जिसके लिए उन्हें माफ़ी मांगनी चाहिए क्योंकि अब तक की रीत यह रही है की कोई भी बड़े फैसली में सारे अखाड़ों की सहमति होती है और अगर कोई अखाड़ा एपीआई मनमर्जी करता है तो उस स्तिथि में उनके साथ आगे रहना कठिन होग।
अखिल भारतीय श्रीपंच निर्मोही अनी अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत राजेंद्रदास महाराज ने कहा कि कुंभ संपन्न होने की घोषणा किए जाने से पूरे देश से आये हुए श्रद्धालुओं में भ्रम की स्थिति बन गयी है और अभी वैष्णव अखाड़ों का एक स्नान 27 अप्रैल को बाकी है। उन्होंने कहा की कोरोना नियम का पालन करते हुए सम्पन्न कराने का वैष्णव अखाड़ो द्वारा पहले ही निर्णय लिया गया था और आगे भी इसी नियम का निर्वाहन किया जायेगा।
अखिल भारतीय श्रीपंच निर्वाणी अनी अखाड़े के राष्ट्रीय सचिव महंत गौरीशंकर दास महाराज ने कहा कि मेला समाप्त होने की घोषणा करने का अधिकार किसी को नहीं है और यदि माफी नहीं मांगी तो वैष्णव अखाड़े सन्यासी अखाड़ों से सभी संबंध विच्छेद कर लेंगे। इस दौरान श्रीपंच निर्वाणी अनी अखाड़े में आयोजित यज्ञ मे सम्मिलित होने आए मेला अधिकारी दीपक रावत ने कहा कि सरकार व मेला प्रशासन की और से तीस अप्रैल तक के लिए सभी व्यवस्थाएं की गयी हैं। यदि कहीं कोई कमी आती है तो उसे पूरा किया जाएगा। इस अवसर पर मेला आईजी संजय गुंज्याल भी मौजूद रहे।
वहीँ जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज के शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द महाराज ने भी कुंभ मेला समाप्ति की घोषणा नाराजगी जताई । स्वरूपानंद सरस्वती महाराज के शिविर में पत्रकारों के सम्मुख उनके शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द महाराज ने कहा कि कुंभ सामूहिकता का पर्व है और किसी संस्था या व्यक्ति को कुंभ समाप्त करने की घोषणा करने का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि अनादि काल से ही कुंभ हमेशा निर्धारित समय पर ही संपन्न होता है। उन्होंने कहा ऐसा कोई स्थान नहीं है जहां कोरोना के मामले ना आ रहे हों तो फिर कुंभ को समय से पहले समाप्त करने से बेहतर है कि कोरोना से बचाव के लिए जारी गाइड लाईन का पालन करते हुए कुंभ महापर्व का पूर्ण आध्यात्मिक लाभ लिया जाए।
सरकार ने 30 अप्रैल तक मेला अवधि की घोषणा की है और उसको बदलने की अफवाहों के बीच महांडलेश्वर के यह बयान महत्वपूर्ण हैं।